Human Rights: पिसावा किले से चोरी गए थे करोड़ों के जेवर और हथियार, जांच में पुलिस पर लटकी तलवार
अलीगढ़ का है मामला पांच साल पहले हुई थी चोरी। नौकरों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर सीबीसीआइडी कर रही जांच।
आगरा, जागरण संवाददाता। अलीगढ़ के पिसावा किले में पांच साल पहले हुई कई करोड़ की चोरी में पुलिस की भूमिका जांच के दायरे में आ गयी है। चोरी में नामजद किले में काम करने वाले नौकरों ने पुलिस द्वारा अपने साथ न्याय नहीं करने की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी। आयोग के निर्देश पर मामले की जांच अब सीबीसीआइडी आगरा सेक्टर को सौंपी गयी है। टीम ने दो दिन पहले अलीगढ़ के पिसावा किले और संबंधित थाने में जाकर दस्तावेज खंगाले।
अलीगढ़ में पिसावा रियासत के कुंवर यादवेंद्र सिंह सपरिवार दिल्ली में रहते हैं। किले की निगरानी और देखभाल रायपुर निवासी जगदीश सिंह समेत पांच नौकर करते हैं। यादवेंद्र सिंह 21 मार्च 2015 को लौटे तो पता चला कि किले से देशी-विदेशी हथियार, सोने-चांदी की ट्रॉफी और सोने के कुंडल चोरी हो गए हैं। चोरी गए हथियार और ट्राॅफी आदि की कीमत कई करोड़ रुपये बतायी गयी थी। मामले में कुंवर यादवेंद्र सिंह ने पिसावा थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसमें जगदीश सिंह, सुनील, रोहित और वीर बहादुर आरोपित थे। मुकदमे की विवेचना अगस्त को 2015 को क्राइम ब्रांच स्थानांतरित हो गयी। पुलिस ने जून 2018 को मुकदमे में एफआर लगा दी। कुंवर यादवेंद्र की ओर से अप्रैल 2015 में एक और मुकदमा धमकी देने का दर्ज कराया गया। इसमें सुनील, विनोद, वीर बहादुर और ग्राम प्रधान रामपाल सिंह को नामजद किया। उक्त मुकदमे में पुलिस ने जून 2015 में आराेपितों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी।
नामजद लोगों ने पुलिस द्वारा अपना उत्पीड़न करने की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी। उनका कहना था कि पूरे मामले में पुलिस ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया। पुलिस ने उनका उत्पीड़न किया। विवेचना में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते पूरे मामले की जांच सीबीसीअाइडी से कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सीबीसीआइडी ने जांच शुरू कर दी है। इसमें पुलिस की भूमिका और उसके द्वारा की गई विवेचना की भी जांच की जा रही है। सीबीसीआइडी की टीम दो दिन पहले पिसावा गयी थी। वहां पर उसने थाने में मुकदमे से संबंधित रिकार्ड खंगाला।