Holi Special 2019: डेढ़ सौ साल बाद नंदगांव के पंडा को होली के आमंत्रण देने का न्‍यौता

दुबारा बुलाने के लिए मंदिर की सेवायत ने समाज के सामने रखा प्रस्ताव। करीब डेढ़ सौ साल से नहीं आ रहा होली का न्यौता देने नंदगांव से पंडा।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 27 Feb 2019 12:25 PM (IST) Updated:Wed, 27 Feb 2019 12:25 PM (IST)
Holi Special 2019: डेढ़ सौ साल बाद नंदगांव के पंडा को होली के आमंत्रण देने का न्‍यौता
Holi Special 2019: डेढ़ सौ साल बाद नंदगांव के पंडा को होली के आमंत्रण देने का न्‍यौता

आगरा, मनोज चौधरी। इत सखियन को अनुराग, उत मोहन की प्रीति। श्याम जू ने डाल दई या ब्रज होरी की रीति।। नटवरनंद किशोर ने ही बरसाना की लठामार होली के लिए किशोरीजू और उनकी सखियों को उकसाया था। इसका न्यौता लेकर मैया यशोदा के मायके गांव मेहराना का पंडा लेकर आया था। बरसाना के गोस्वामी समाज की इस पीढ़ी ने नंदगांव के पंडा के कबहू नहीं देखा। अब पहली बार नंदगांव के पंडा को होरी का न्यौता देने के बुलाने पर समाज मंथन कर रहा है।

होरी हो ब्रजराज दुलारे होरी हो, बहुत दिनन तै तुम मनोहन फाग ही फाग पुकारें, अब देख लेऊ सेन फाग के, पिचकारी के फुहारे, होरी हो ब्रजराज दुलारे। बरसाना की श्यामा सखी नंदभवन में सुबह यही न्यौता लेकर रंग, गुलाल और अबीर की हांडियां लेकर पहुंचती है। नंदगांव के कुंवर कन्हैया होली खेलने का न्यौता मिलते ही घर-घर खबर पहुंचा देते हैं। ग्वालबाल और सखा होली खेलने के लिए तैयार होते। यह सुन मां यशोदा ने लाला से कहा था कि वह बरसाना होली खेलने न जाए। वहां की ग्वालिन बहुत ही धींगरी हैं। तौय दे दे गारी, दे दे तारी नाच नचावेंगी। कान्हा नहीं माने, तब शाम को माता यशोदा ने होली का न्यौता स्वीकार किए जाने को अपने मायके गांव मेहराना (नंदगांव के समीप) से पंडा भेजा था। पंडा ने बरसाने जाकर किशोरी को कान्हा के आने की खबर दी तो खुशी से लाड़लीजी ने पंडा को लड्डू खिलाए थे। लड्डू इतने थे कि पंडा ने खुद और लोगों को लुटाए। तभी से बरसाना में लड्डू होली की शुरूआत हुई। इस बार लड्डू होली 14 मार्च को खेली जाएगी। मगर, इस बार डेढ़ सौ साल बाद नंदगांव के पंडा को होली का न्यौते के लिए बुलाया जा रहा है। श्रीजी मंदिर सेवायत मायदेवी ने यह प्रस्ताव भी समाज के सामने रख दिया है। अन्य सेवायतों ने भी इसकी पुष्टि की है।

यूं हुआ बंद

बुजुर्गों से मिली जानकारी के अनुसार, एक बार रीवा राज्‍य के राजा बरसाना में होली देखने के लिए आए थे। तब नंदगांव का पंडा यहां आया था। उसने लड्डू लुटाए और नृत्य किया। इससे खुश होकर राजा ने पंडा को मालामाल करने के लिए बहुत धन दिया। दूसरी साल भी राजा होली देखने के लिए कहकर चले गए। नंदगांव के पंडा को जो धन मिला, वह गोस्वामी समाज के कुछ लोगों के गले नहीं उतरा था और नंदगांव के पंडा के बुलाना बंद कर दिया। इसके बाद से ही श्रीजी मंदिर के सेवायत ही नंदगांव का पंडा बनकर न्यौता देता रहा है, लेकिन इस बार नंदगांव से पंडा से आ सकता है। समाज के मुखिया रामभरोसे गोस्वामी ने बताया कि अभी समाज ने इस पर निर्णय पर लिया है, लेकिन जल्द ही फैसला हो जाएगा।

 

क्‍या है लट्ठमार होली

फाल्‍गुन की नवमी को लट्ठ महिलाओं के हाथ में रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा के मन्दिर लाड़लीजी पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। कहते हैं इस दिन सभी महिलाओं में राधा की आत्मा बसती है और पुरुष भी हंस-हंस कर लाठियां खाते हैं। आपसी वार्तालाप के लिए होरी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच वार्तालाप पर आधारित होती है। महिलाएं पुरुषों को लट्ठ मारती हैं, लेकिन गोपों को किसी भी तरह का प्रतिरोध करने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें सिर्फ गुलाल छिड़क कर इन महिलाओं को चकमा देना होता है। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है या महिलाओं के कपड़े पहनाकर, श्रृंगार इत्यादि करके उन्‍हें नचाया जाता है।

लट्ठमार होली, कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा

माना जाता है कि पौराणिक काल में श्रीकृष्ण को बरसाना की गोपियों ने नचाया था। दो सप्ताह तक चलने वाली इस होली का माहौल बहुत मस्ती भरा होता है। एक बात और यहां पर जिस रंग-गुलाल का प्रयोग किया जाता है वो प्राकृतिक होता है, जिससे माहौल बहुत ही सुगन्धित रहता है। अगले दिन यही प्रक्रिया दोहराई जाती है, लेकिन इस बार नन्दगांव में, वहां की गोपियां, बरसाना के गोपों की जमकर धुलाई करती हैं।

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