Holi 2020: ब्रज की लठामार होली से अलग और भी हैं प्रमाण, इस कुंड का इतिहास जान हो जाएंगे हैरान

राधाकृष्ण की होली का गवाह है गुलाल कुंड। संरक्षण की बाट जोहता द्वापरयुगीन गुलाल कुंड।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 07 Mar 2020 01:08 PM (IST) Updated:Sat, 07 Mar 2020 08:01 PM (IST)
Holi 2020: ब्रज की लठामार होली से अलग और भी हैं प्रमाण, इस कुंड का इतिहास जान हो जाएंगे हैरान
Holi 2020: ब्रज की लठामार होली से अलग और भी हैं प्रमाण, इस कुंड का इतिहास जान हो जाएंगे हैरान

मथुरा, रसिक शर्मा। श्‍याम रंगे राधा संग और राधा ने ओढ़ लिया श्‍याम रंग। यह पंक्तियां महज कल्‍पना नहीं हैं। ब्रज की धरा पर जगह- जगह ऐसे स्‍थान हैं जो राधा कृष्‍ण की प्रीत के प्रमाण सरीखे हैं। हालाकि ये बात और है कि कालांतर में वो प्रमाण विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं। ब्रज में फाग की विरासत की झलक गोवर्धन में भी देखने को मिलती है। यहां का एक स्‍थल प्रमाण है राधा कृष्‍ण की गुलाल की होली का। जो अब देखरेख के अभाव में पूरी तरह से सूख चुका है। 

गोवर्धन महाराज की सातकोसीय नगरी में इतने कुंड हैं कि इसे जलाशय नगरी कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। लेकिन ये दुखद पहलू है कि नजर अंदाज करती प्रशासनिक मशीनरी के कारण ऐतिहासिक विरासत विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसी ही एक विरासत है गुलाल कुंड। गोवर्धन से डीग मार्ग पर गांव गांठोली में स्थित है गुलालकुंड। जैसा नाम वैसा ही इतिहास है इस कुंड का। दुर्भाग्‍य है कि राधाकृष्ण की द्वापर युगीन होली लीला का विलुप्त प्रायः सा ये प्रमाण अब हो चुका है। धार्मिक पुस्तकों को खंगालें तो राधारानी गोपियों के साथ कान्हा से गुलाल होली खेलने आईंं। होली में इतना गुलाल उड़ा कि आसमान पर रंगों के बादल तो धरा परा रंगीन चादर सी बिछ गई। चेहरे पर लगे गुलाल के कारण एक दूसरे की पहचान मुश्किल हो गई तो राधा कृष्ण ने गोपियों के साथ इस कुंड पर स्नान किया जिससे कुंड का जल भी गुलाल के रंग में रंग गया। गिरिराजजी सेवायत सुनील कौशिक के अनुसार तभी से इस कुंड का नाम गुलाल कुंड पड़ गया।

शासन और जनप्रतिनिधि जनपद के धार्मिक स्थलों का विकास कराने के दावे कर रहे हैं, परंतु गुलाल कुंड को उन्होंने नजर अंदाज कर रखा है। कुंड का जल आचमन योग्य भी नहीं रहा और जल की कम मात्रा के कारण कुंड पोखर में तब्दील होता जा रहा है। कुंड के जल के चारों तरफ गंदगी की मोटी परत जमा हो गयी है। श्रद्धालुओं का आवागमन भी बंद सा हो गया है। धार्मिक मतानुसार इस कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रज निष्ठ संत कन्हैया बाबा के अनुसार ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की जब तक आदत नहीं बनेगी कुछ भी संभव नहीं है। सरकारी मशीनरी के भरोसे विरासतों को नहीं छोड़ा जा सकता। पुरोहित पिटू कौशिक ने बताया कि गुलाल कुंड सहित कुंडों के शुद्धिकरण की भावना आदत में शुमार होने के बाद ही परिवर्तन नजर आ सकता है। ओमप्रकाश कौशिक के अनुसार यमुना मिशन और ब्रज विकास ट्रस्ट द्वारा कार्य कराए गए।

ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। सौंदर्य और कुंड में जलापूर्ति के लिए योजना तैयार कर क्रियान्वयन किया जाएगा।

राहुल यादव, एसडीएम गोवर्धन 

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