बड़ा गिरोह करता है रोडवेज बस की टिकटों में खेल
आगरा: परिवहन निगम में एसटीएफ ने अलीगढ़ और मथुरा क्षेत्र में रोडवेज बसों में टिकटों का फर्जीवाड़ा चल रहा था।
आगरा: परिवहन निगम में एसटीएफ ने अलीगढ़ और मथुरा क्षेत्र में रोडवेज बसों में टिकटों का फर्जीवाड़ा पकड़ा तो सनसनी फैल गई। आगरा में भी विभागीय शह पर बड़े पैमाने पर ये खेल चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि आगरा की करीब डेढ़ दर्जन बसों में ये खेल किया जा रहा है। डिपो से गाड़ी बाहर निकलते ही गिरोह उसे अपने कब्जे में ले लेता है। इसके लिए चालक और परिचालक को बकायदा हर माह निर्धारित रकम दी जाती है। परिवहन निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई बसों में तो चालक और परिचालक को घर भेज दिया जाता है और फिर गड़बड़ टिकट मशीन लेकर गिरोह पूरी बस को अपने कब्जे में ले लेता है। कुछ यात्रियों को टिकट दी जाती हैं, बाकी यात्रियों को फर्जी टिकट थमा दी जाती हैं। क्षमता से कहीं अधिक सवारियां बैठाई जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि बकायदा इस गिरोह ने गुर्गे भी रख रखे हैं। ये गुर्गे जगह-जगह तैनात रहते हैं। जब तक इनकी बस यात्रियों से ठसाठस भर नहीं जाती, तब तक दूसरी बसों के चालक-परिचालक अपनी बसें नहीं भर सकते। यही नहीं सड़क पर कोई भी चेकिंग करने टीम पहुंचती है, तो ये गुर्गे उससे भिड़ जाते थे और चेकिंग नहीं करने देते थे। मंगलवार को एसटीएफ टीम ने जब पकड़ा तो भी इन्हीं गुर्गो ने टीम पर हमला बोल दिया। सूत्रों का कहना है कि बाद में जिन चालक और परिचालकों के नाम बस आवंटित होती थी, उन्हें एक न्यूनतम धनराशि डिपो में जमा करने को दी जाती है। बाकी धनराशि का बंदरबांट किया जाता है। हर बस का तय है रेट
सूत्रों का कहना है कि डिपो के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक प्रतिमाह प्रति बस का रेट तय है। रुपये का खेल इस कदर हो रहा था कि सभी चुप्पी साधे थे। कुछ कर्मचारी डर के कारण जुबान नहीं खोल पा रहे थे। पहले हुई थी आरएम से मारपीट
वर्ष 2011 में भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि तब फर्जीवाड़ा करने वालों ने तत्कालीन आरएम नीरज सक्सेना के साथ मारपीट की थी। बाद में ये मामला दबा दिया गया था। यदि एसटीएफ ने गहनता से जांच की तो आगरा में परिवहन विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी भी जांच की जद में आ सकते हैं।