Friendship Day 2020: सिक्का उछाल रखी दोस्ती की मिसाल, पढ़ें दो दोस्तों का अनोखा याराना
Friendship Day 2020 दोस्ती की यह बेमिसाल दास्तां है 1951 की। सरनेम बदलने का सिलसिला दूसरी पीढ़ी भी निभा रही है।
आगरा, अली अब्बास। 'होते नहीं सब फैसले सिक्का उछाल के, ये दिलों के मामले हैं जरा संभाल के।' वर्षों पहले आगरा के दो दोस्तों ने दिलों का ऐसा ही फैसला सिक्का उछाल कर किया। जीतने वाले ने अपने नाम के आगे जिंदगी भर को दोस्त का सरनेम जोड़ लिया। सरनेम का यह सिलसिला दूसरी पीढ़ी भी निभा रही है।
दोस्ती की यह बेमिसाल दास्तां है 1951 की। तब शहर के घटिया इलाके में रहने वाले जवाहर लाल रहेजा और नंदलाल वर्मा सिटी जूनियर हाईस्कूल लोहामंडी में पढ़ते थे। दोनों कुछ ऐसा चाहते थे जिससे जुदा होने के बाद भी वह एक दूसरे को भूल न सकें। हाईस्कूल में परीक्षा फार्म भरने का समय था। इस दौरान लिखा गया नाम ही कागजों में हमेशा रहना था। दोनों ने फैसला किया कि कोई एक अपने नाम में दोस्त का सरनेम जोड़ ले। मगर कौन, इस सवाल का हल सिक्का उछालकर किया गया। जवाहर लाल रहेजा जीते और अब नाम हो गया जवाहर लाल वर्मा।
जयुपर हाउस कॉलोनी में रहने वाले जवाहर लाल के बेटे अधिवक्ता अनिल वर्मा बताते हैं जिंदगी भर पिता इस वादे को निभाए रहे। उनकी मौत होने बाद हम दोनों भाई (अनिल और राजेश) ने निभाया। अब हमारे बेटे भी अपने बाबा के उस वादे को निभा रहे हैं।
22 दोस्तों का 25 साल पुराना सफर
लोक स्वर संस्था के संस्थापक एवं नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता और डॉ. कौशल नारायण शर्मा की दोस्ती भी एक मिसाल है। दोनों की दोस्ती 50 साल पुरानी है। लोक स्वर संस्था से जुड़े 22 सदस्य ऐसे हैं जिनकी दोस्ती 25 से 40 साल पुरानी है। इनमें कोई कॉलेज के समय आपस में जुड़ा तो कोई बचपन से साथ है।
ऐसे हुई मित्रता दिवस की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 27 अप्रैल 2011 को 30 जुलाई को आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में घोषित किया। भारत में यह आमतौर पर अगस्त माह के पहले रविवार को मनाया जाता है। वर्ष 1998 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कोफी अन्नान की पत्नी नैन अन्नान ने यूएन मे विनी द पूह को मित्रता के वैश्विक राजदूत के रूप में घोषित किया।