Jagran Impact: नमामि गंगे में खेल की जांच पूरी, खिलाडिय़ों पर कसेगा अब शिकंजा

सीडीओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट। एसपीएस के लिए 2.27 करोड़ में जमीन बेचने वालों के साथ अफसरों की मिलीभगत साबित।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 12 Mar 2020 09:05 AM (IST) Updated:Thu, 12 Mar 2020 09:05 AM (IST)
Jagran Impact: नमामि गंगे में खेल की जांच पूरी, खिलाडिय़ों पर कसेगा अब शिकंजा
Jagran Impact: नमामि गंगे में खेल की जांच पूरी, खिलाडिय़ों पर कसेगा अब शिकंजा

फीरोजाबाद, जेएनएन। नमामि गंगे परियोजना के तहत जमीन के सौदे में किए गए करोड़ों के खेल की जांच पूरी हो गई है। सीडीओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। जांच में जमीन के सौदागरों और अफसरों की मिलीभगत से साबित हुई है। अधिकारी अभी रिपोर्ट के सभी तथ्यों की जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं। 

नमामि गंगे परियोजना के तहत शहर में दो सीवेज पंपिंग स्टेशन बनाए जाने थे। 2018 में स्टेशन के लिए नगर निगम को जमीन की जरुरत थी। इसकी भनक लगते ही भाजपा नेता और नगर निगम के ठेकेदारों समेत सात लोगों ने बासठ मौजा के किसान जसवंत से 941.16 वर्ग मीटर जमीन 50 लाख रुपये में खरीदी। इससे इस भूखंड को कृषि क्षेत्र से आबादी क्षेत्र घोषित करा लिया। अक्टूबर 19 में इसी जमीन को महाप्रबंधक (जल) नगर निगम ने 2.27 करोड़ रुपये में खरीद लिया। इस मामले में जमीन की सह खातेदार जसवंत की भाभी कुसमा देवी ने शिकायत दर्ज कराई। उनकी आपत्ति थी कि आसपास की जमीन कृषि योग्य है तो यह जमीन आबादी कैसे घोषित हो सकती है। दूसरे इस जमीन के सौदे में वास्तविक से अधिक कीमत नगर निगम ने चुकाई है। इसमें सौदेदारों के बीच दुरभिसंधि की आशंका है। डीएम की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने सारे आरोपों की पड़ताल की। जमीन की खरीद से लेकर जमीन बेचे जाने के दस्तावेजों को परखा। मौके पर जाकर जमीन देखी और जल निगम के अधिकारियों के भी बयान दर्ज किए थे। सूत्रों के मुताबिक जमीन के सौदे में लगाए गए सभी आरोप सही साबित होते पाए गए। लगभग तीन सौ पेज की रिपोर्ट में दस्तावेज भी लगाए गए हैं।

कैसे उठा मामला

जसवंत सिंह की सहखातेदार उसकी भाभी कुसमा देवी को जब सौदे की भनक लगी तो उसने आबादी रद्द करवाने को दस दिसंबर 2018 को एसडीएम कोर्ट में आवेदन किया। आपत्ति को सही मानते हुए 29 जुलाई 2019 को एसडीएम सदर राजेश कुमार वर्मा ने पूर्व एसडीएम का आदेश खारिज कर दिया। नियमानुसार जमीन फिर से कृषि भूमि हो गई। इसके दो महीने बाद 5 अक्टूबर 2019 को जमीन को 2.27 करोड़ रुपये में क्रय किया। दैनिक जागरण ने 13 दिसंबर के अंक में पहले पेज पर खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

भाजपा पूर्व महानगर अध्यक्ष और विधायक ने की थी जांच की मांग

जमीन की डील में अनियमितताएं उजागर होने के बाद भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष कन्हैया लाल गुप्ता और नगर विधायक मनीष असीजा ने डीएम को पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी। वहीं इस मामले में डीएम ने सीडीओ नेहा जैन, नगरायुक्त विजय कुमार और एसडीएम सदर राजेश वर्मा की तीन सदस्यीय समिति बनाकर जांच के आदेश दिए थे।

विधान परिषद तक गूंजा था मामला

इस मामले में मंडलायुक्त, आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा से लेकर शासन तक शिकायत की गई थी। इसके बाद सपा एमएलसी अरङ्क्षवद यादव ने विधान परिषद में मामला उठाते हुए जांच की मांग की थी।

उपद्रव के चलते जांच में हुई देरी

दैनिक जागरण द्वारा मामला उठाए जाने के साथ ही डीएम चंद्रविजय ङ्क्षसह ने जांच समिति गठित की थी। इसके बाद शहर में सीएए का उपद्रव हुआ और इसके चलते जांच अटकी रही। मकर संक्रांति के दिन समिति ने जमीन का स्थलीय निरीक्षण किया था। तीन दिन पूर्व जांच पूरी हो गई है।

सीवेज पंपिंग स्टेशन को लेकर की गई शिकायतों की जांच समिति ने पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि रिपोर्ट अभी पढ़ी नहीं जा सकी है। इसके अध्ययन के बाद रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए शासन को भेजा जाएगा।

 चंद्रविजय सिंह, डीएम फीरोजाबाद 

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