RTI: हादसों का रास्‍ता बना ये एक्‍सप्रेस वे, हर दिन होते चार हादसे, हर तीसरे दिन एक मौत

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 17 माह में हुए 1966 सड़क हादसे और 191 मौत। ओवरस्पीडिंग के कारण हो रहीं अधिकतर दुर्घटनाएं फिर भी रोकने को नहीं कोई इंतजाम।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 10 Mar 2019 02:20 PM (IST) Updated:Sun, 10 Mar 2019 02:20 PM (IST)
RTI: हादसों का रास्‍ता बना ये एक्‍सप्रेस वे, हर दिन होते चार हादसे, हर तीसरे दिन एक मौत
RTI: हादसों का रास्‍ता बना ये एक्‍सप्रेस वे, हर दिन होते चार हादसे, हर तीसरे दिन एक मौत

आगरा, यशपाल चौहान। 302 किमी लंबा एक्सप्रेस वे। गाड़ी एक बार इस पर चढ़ी तो एक्सीलरेटर और मीटर का कांटा खुद ब खुद बढऩे लगता है। बेतहाशा रफ्तार में लगातार हादसे हो रहे हैं। यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के आंकड़े बता रहे हैं कि हर दिन लखनऊ एक्सप्रेस वे पर चार हादसे हो रहे हैं। जबकि हर तीन दिन में एक मौत हो रही है। इसके बाद भी इस पर जानलेवा रफ्तार का खेल जारी है और जिम्मेदार बेपरवाह बैठे हैं।

लखनऊ एक्सप्रेसवे हल्के वाहनों के लिए 23 दिसंबर 2016 से खोला गया। इस पर 19 जनवरी 2016 से टोल टैक्स भी लगने लगा। वाहनों का आवागमन तो एक्सप्रेसवे खुलते ही शुरू हो गया। इसी के साथ हादसों की भी शुरुआत हो गई। इस पर 17 माह में हुए हादसों का आंकड़ा चौकाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन की आरटीआइ के जवाब में यूपीडा ने एक मार्च को दिए जवाब में हादसों, उनके कारणों और इंतजामों की जानकारी दी है। इसके मुताबिक अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 873 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 100 लोगों की मौत हुई। वर्ष 2018 में अप्रैल से दिसंबर तक एक्सप्रेसवे पर 1113 सड़क हादसे हुए जिनमें 91 लोग मरे। इस तरह पिछले 17 महीनों में 1966 हादसे हुए, जिनमें 191 मौत हुईं। यूपीडा के आंकड़ों के अनुसार एक्सप्रेसवे पर प्रतिदिन चार हादसे हुए और औसतन तीन दिन में एक मौत हुई। वर्ष 2018 में 145 हादसे पशुओं के एक्सप्रेस वे पर आ जाने से हुए। यह हाल तब है जब एक्सप्रेस वे पर दोनों ओर पशु रोकने को फेंसिंग लगी है।

ओवरस्‍पीड है मुख्‍य कारण

हादसों का बड़ा कारण वाहनों की ओवरस्पीडिंग है। इस पर हल्के वाहनों के लिए गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 80 किमी प्रति घंटा तय है। मगर, इसकी मॉनीटङ्क्षरग का कोई सिस्टम यूपीडा अभी तक स्थापित नहीं कर सकी है। इसलिए आरटीआइ के जवाब में ऐसे वाहनों पर चालान की जिम्मेदारी 10 जिलों के संभागीय परिवहन विभाग और पुलिस पर डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

अपीलीय अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद दी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन ने दिसंबर 2018 में यूपीडा से सूचना मांगी थी। इस पर अधूरी सूचना दी गई। हादसों की जानकारी देने के बजाय पुलिस से लेने की सलाह दे दी गई। अधिवक्ता ने सूचना के अधिकार के तहत अपील की। अपीलीय अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद यूपीडा ने यह जानकारी दी।

177 करोड़ के राजस्व की वसूली

लखनऊ एक्सप्रेस वे पर वर्ष 2018 में 96.33 लाख वाहन गुजरे। इनसे 177 करोड़ से अधिक की राशि टोल टैक्स से वसूली गई। इस प्रकार प्रति माह गुजरने वाले वाहनों की संख्या लगभग 8 लाख है, जिनसे करीब 15 करोड़ रुपये टोल के रूप में प्रति माह प्राप्त होता है।

हादसों के कारण

ओवरस्पीडिंग, वाहनों के सामने पशुओं का आना, टायर पंचर, नींद आना।

इन जिलों से गुजरता है एक्सप्रेस वे

आगरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, उन्नाव, हरदोई व लखनऊ।

संरक्षा और सुरक्षा के इंतजामों का हाल

- यूपीडा के 25 पेट्रोलिंग वाहन, 10 एंबुलेंस, 10 क्रेन की व्यवस्था है। इन पर 120 कर्मचारी तैनात हैं।

- सभी 10 जनपदों की यूपी 100 की 27 पीआरवी भी एक्सप्रेसवे पर रहती हैं।

- 10 स्पीड डिटेक्शन कैमरे पांच स्थानों पर लगाए जाने हैं, लेकिन अभी तक नहीं लगे।

- एक्सप्रेसवे पर 15 स्थलों पर पुलिस चौकी का निर्माण होना है। अभी तक नहीं हुआ।

- 10-10 बेड के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण अभी विचाराधीन है। 

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