शोध के जरिए संजोई जाएगी श्रीकृष्ण की संस्कृति, एक पटल पर होगा इतिहास Agra News

वृंदावन शोध संस्थान की युग-युगीन श्रीकृष्ण व्याप्ति और संदर्भ पर पांच साल होगा शोध। पूरी दुनिया में फैली है नटवर नागर की संस्कृति।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 26 Jan 2020 06:53 PM (IST) Updated:Sun, 26 Jan 2020 06:53 PM (IST)
शोध के जरिए संजोई जाएगी श्रीकृष्ण की संस्कृति, एक पटल पर होगा इतिहास Agra News
शोध के जरिए संजोई जाएगी श्रीकृष्ण की संस्कृति, एक पटल पर होगा इतिहास Agra News

आगरा, विपिन पाराशर। नटवरनागर भगवान श्रीकृष्ण की संस्कृति भले ही ब्रज से शुरू हुई। लेकिन संस्कृति पूरी दुनिया में अलग-अलग भाषा और परिवेश में है। ऐसी संस्कृति को वृंदावन शोध संस्थान अब संजोएगा। इसकी शुरुआत केरल से हुई है। इसमें दक्षिण भारत में श्रीकृष्ण की संस्कृति के ऐसे संदर्भ सामने आए हैं, जो केरल और ब्रज के समन्वय की गाथा गा रहे हैं।

वृंदावन शोध संस्थान की युग-युगीन श्रीकृष्ण व्याप्ति और संदर्भ पर पांच साल तक शोध करेगा। इसकी शुरुआत केरल के त्रिशूर में की गई है। केरल में श्रीकृष्ण संस्कृति से जुड़े विभिन्न पक्ष इनमें मूर्तिकला परंपरा, श्रीकृष्ण मंदिरों में सेवा पद्धति, भक्ति के प्रसार में जगद्गुरु शंकराचार्य का योगदान, वैष्णव संत, मलयालम कविता में श्रीकृष्ण, कांस्य कला में श्रीकृष्ण, ब्रजभाषा के संदर्भ, कथक्कली व कृष्णाट्टम की परंपरा में श्रीकृष्ण, भित्ति चित्रकला तथा लोक संस्कृति में श्रीकृष्ण के अनेक पक्ष शोधार्थियों द्वारा बीते दिनों वहां हुई संगो्ठी में रखे गए। ये शोधपत्र ब्रज की परंपरा को पूरी तरह आलिंगन करते नजर आ रहे हैं।

एक पटल पर होगी श्रीकृष्ण संस्कृति

शोध संस्थान अध्यक्ष आरडी पालीवाल ने बताया कि शोध परियोजना द्वारा श्रीकृष्ण की व्याप्ति से जुड़े सभी संदर्भों को एक पटल पर लाने के लिए संस्थान में संग्रहित तीस हजार पांडुलिपियों तथा देवालयी दस्तावेजों का सर्वेक्षण हो रहा है। देश के अन्य ग्रंथागारों और निजी संग्रहों से भी डिजिटल सामग्री एकत्र की जा रही है। देश के विभिन्न अंचलों में श्रीकृष्ण से जुड़ी लोक परंपराओं के संकलन को संगोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं। भगवान श्रीकृष्ण की जो संस्कृति देशदुनिया में अलग-अलग रूप में बसी है, उसे एक पटल पर संकलित कर विश्व पटल पर रखा जा सके। 

chat bot
आपका साथी