CoronaVirus: सीखें इनसे, 94 Not Out में भी रखते हैं CoronaVirus से जीतने का जज्बा
94 वर्षीय पूर्व विधायक बदन सिंह बोले प्लेग और हैजा को हारते देखा है। पहले नहीं थे इतने इंतजाम इस बार सरकार ज्यादा संवेदनशील।
आगरा, संजय रुस्तगी। अरे! हमने तो प्लेग, हैजा, चेचक जैसी कई 'जंग' जीती हैं। तब तो सरकारी इंतजाम भी इतने नहीं थे। अब सरकार बेहद संवेदनशील है। लोग भी सतर्क और जागरूक हैं। पूरा भरोसा है कि हम कोरोना को भी हरा देंगे।
15 जनवरी, 1926 को जन्मे बदन सिंह पांच बार विधायक रहे हैं। ब्रज के लोक गायक के रूप में भी इनकी पहचान है। इन्होंने लोक गीत लिखे हैैं और गाते भी हैैं। कोरोना को लेकर बदन सिंह बिल्कुल दहशत में नहीं हैैं। बोले, हमने प्लेग की महामारी झेली है। हैजा की भयावहता भी यादों से ओझल नहीं हुई है। तब और अब के हालात में जमीं-आसमान का अंतर है। उस समय सरकारी इंतजाम नहीं थे। इलाज के इतने संसाधन नहीं थे। आवागमन भी मुश्किल भरा था।
चौधरी चरण सिंह के अनुयायी चौधरी बदन सिंह मोदी सरकार की तारीफ बेबाकी से करते हैैं। बोले-अब वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस की हर हरकत की जानकारी हासिल कर ली है। इसे रोकने के लिए प्रभावी तरीका भी खोज लिया और वह है लॉकडाउन। रोगियों को भी बेहतर इलाज मिल रहा है। जब हम प्लेग, हैजा, टीबी व चेचक जैसी महामारी से मोर्चा ले चुके हैैं तो कोरोना से नहीं घबराएं। सिर्फ सरकार के साथ चलें और एडवाइजरी का पालन करें। मोदी जी ने कहा है कि को-कोई, रो-रोड पर, ना-ना निकले। इसका पालन करें।
बैलगाडिय़ों पर लाशें और रोते स्वजन
चौधरी बदन सिंह प्लेग की भयाभहता को याद कर बताते है कि 1930 के बाद फैले प्लेग में शहर से बैलगाड़ी पर एक साथ कई लाशें जाती थीं। लोग एक का अंतिम संस्कार कर लौटते थे, घर पर दूसरी लाश मिलती थी। हालात ऐसे हो गए, कि दाह संस्कार करने वाले भी कम पड़ गए। मेरे परिवार में भी कई लोग प्लेग के शिकार हुए। हमारे चाचा विजय सिंह ने भी कई का अंतिम संस्कार किया। एक बैलगाड़ी लाशों को शमशान घाट तक ले जाने के लिए ही तैयार रहती थी।
संयमित रखिए दिनचर्या
चौधरी बदन सिंह संयमित दिनचर्या पर ज्यादा जोर देते हैैं। 94 साल की उम्र में वह नियमित तीन घंटे योगा करते हैैं। खाना भी उनका संयमित है। खाली वक्त में वह अध्ययन भी करते हैं। उनका कहना है कि संयमित दिनचर्या से आप स्वस्थ रहेंगे और कोरोना जैसा वायरस असर नहीं कर सकेगा।