बरसाना की लठामार होली में अन्य प्रदेशों के सीएम को भी दिया जाएगा बुलावा Agra News
बरसाना में 4 मार्च को होगी लठामार होली। एसडीएम गोवर्धन व छाता ने लिया जायजा।
आगरा, जेएनएन। प्रदेश सरकार द्वारा बरसाना की लठामार होली को पूरे देश मे ट्रेनों व बसों और जगह-जगह होर्डिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लठामार रंगीली होली को पहले से ज्यादा भव्यता देने के लिए प्रशासन अभी से जुट गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार लठामार होली देखने सीएम योगी सहित अन्य प्रदेशों के सीएम भी बरसाना आ सकते हैं। फिलहाल प्रशासन ने सीएम के आने की कोई पुष्टि नहीं की है।
राधाकृष्ण के अनुराग से भरी लठामार रंगीली होली को पहले से ज्यादा भव्यता देने के लिए प्रशासन पूरी तरह से जुट गया है। एक ओर जहां बरसाना की होली को प्रदेश सरकार द्वारा विश्व पटल पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। बसों व ट्रेनों के माध्यम से लठामार होली के दृश्यों को दर्शाया जा रहा है। बरसाना की प्रसिद्ध लड्डू होली 3 व लठामार होली 4 मार्च को खेली जाएगी। बरसाना की लठामार होली देखने सीएम योगी आदित्यनाथ सहित अन्य प्रदेशों के सीएम भी उनके साथ बरसाना आ सकते हैं। शुक्रवार को एसडीएम गोवर्धन राहुल यादव व एसडीएम छाता नितिन गौड़ बरसाना पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों ने राधाबिहारी इंटर कॉलेज, कटारा पार्क, रंगीली गली, प्रियाकुंड सहित पार्किंग स्थलों का जायजा लिया। एसडीएम गोवर्धन राहुल यादव ने बताया कि बरसाना की होली को इस बार और भव्यता दी जाएगी। विदेशी पर्यटकों के बैठने का भी इंतजाम बेहतर होगा। सांस्कृतिक विभाग द्वारा भी कई जगह होली उत्सव का कार्यक्रम होगा। लखनऊ से सांस्कृतिक विभाग के अधिकारी बरसाना आकर ब्लूङ्क्षप्रट तैयार कर लेंगे। फिलहाल तहसीलदार गोवर्धन पवन पाठक, नायब तहसीलदार गोवर्धन सतीश कुमार, अधिशाषी अधिकारी राजेश चौधरी व चेयरमैन प्रतिनिधि भगवान सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
विश्व प्रसिद्ध है लठामार होली
भगवान कृष्ण की साथी राधा के जन्म स्थान बरसाना की लठामार होली भारत के सबसे रंगीन पर्व होली मनाने के अपने अनूठे तरीके के लिए विश्वप्रसिद्ध है। बरसाने की लठामार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगांंव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए राधा रानी के गांंव बरसाने जाते हैं और विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं। इन पुरूषों को होरियारे कहा जाता है। बरसाना की लठामार होली के बाद अगले दिन यानी फाल्गुन शुक्ला दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। तब नंदभवन में होली की खूब धूम मचती है।
दरअसल बरसाना की लठामार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं की पुनरावृत्ति जैसी है। माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधारानी तथा उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे तथा उनके साथ ठिठोली करते थे जिस पर राधारानी तथा उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। ऐसे में लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाल वृंद भी लाठी या ढ़ालों का प्रयोग किया करते थे जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गया। उसी का परिणाम है कि आज भी इस परंपरा का निर्वहन उसी रूप में किया जाता है। इस होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग बरसाना आते हैं।