यमुना एक्‍सप्रेस वे पर बचाई थी 25 बस यात्रियों की जान, दो साल बाद मिला साहस को सम्‍मान

आगरा के युवक निहाल सिंह को दो वर्ष बाद मिला जीवन रक्षा पदक। यमुना एक्सप्रेस वे से झरना नाले में गिरी बस में फंसे 25 यात्रियों को निकाला था बाहर। एक वर्ष पहले भारत सरकार ने की थी घोषणा अब जिलाधिकारी आवास पर बुलाकर सौंपा पदक।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 12:52 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 12:52 PM (IST)
यमुना एक्‍सप्रेस वे पर बचाई थी 25 बस यात्रियों की जान, दो साल बाद मिला साहस को सम्‍मान
आगरा का युवक निहाल सिंह, एक्‍सप्रेस वे पर हादसाग्रस्‍त बस में फंसे 25 यात्रियों को इस नौजवान ने बचाया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। जान पर खेलकर झरना नाले में फंसे 25 यात्रियों को बाहर निकालने वाले निहाल सिंह को दो वर्ष पहले जीवन रक्षा पदक देने की घोषणा की गई थी। गृह मंत्रालय से आए पत्र के बाद निहाल सिंह पर पूरा गांव नाज कर रहा था।दो वर्ष के इंतजार के बाद अब निहाल सिंह को जीवन रक्षा पदक मिला है। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर पदक सौंप दिया है। मगर, इस पदक के बाद उसे क्या हासिल होगा? यह खुद निहाल सिंह भी नहीं समझ पा रहे हैं।

यमुना एक्सप्रेस वे पर आठ जुलाई 2019 को झरना नाले में रोडवेज बस गिरी थी। पानी में गिरने के कारण बस में सवार यात्री अंदर ही फंसे रह गए थे। निहाल सिंह ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पानी में छलांग लगा दी। उसने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद 25 यात्रियों को बाहर निकाला। इनमें से कई लोगों की जान बच गई थी। निहाल सिंह के इस साहसिक कार्य के लिए स्थानीय स्तर पर उसका सम्मान हुआ और प्रशासन ने भी उसको सम्मानित किया था। इसके बाद वर्ष 2020 में उसको जीवन रक्षा के इस साहसिक कार्य के लिए राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक दिए जाने की घोषणा की गई। गृह मंत्रालय ने 28 जनवरी 2021 को उसके घर पत्र भेजकर भी इसकी जानकारी दी। तभी से निहाल सिंह और उसके परिवार व गांव के लोग पदक मिलने के इंतजार में थे।छह जनवरी को उन्हें जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने अपने अावास पर बुलाकर जीवन रक्षा पदक सौंप दिया। निहाल सिंह इस पदक के मिलने के बाद भी यह नहीं समझ पा रहा है कि उससे क्या लाभ होगा? उसका कहना है कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने उसे गोताखोर की सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था। वह पूरा नहीं हुआ।पिछले दिनों हादसे में उसके पैर में चोट लगी थी। तब उसने प्रशासन से मदद मांगी, लेकिन कुछ नहीं हासिल हुआ। अब उसका कहना है कि पदक से उसकी जीविका नहीं चल सकती। 

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