Agra- Lucknow Expressway: रफ्तार पर अंकुश में 'जिम्मेदारी' का ब्रेक फेल

एक्सप्रेस वे पर ओवस्पीडिंग के चलते हादसों में जा रही जान। ओवस्पीडिंग पर अंकुश लगाने वाले एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 10:49 AM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 10:49 AM (IST)
Agra- Lucknow Expressway: रफ्तार पर अंकुश में 'जिम्मेदारी' का ब्रेक फेल
Agra- Lucknow Expressway: रफ्तार पर अंकुश में 'जिम्मेदारी' का ब्रेक फेल

आगरा, जागरण संवाददाता। 302 किमी लंबा एक्सप्रेस वे। एक बार गाड़ी इस पर चढ़ जाए तो एक्सीलेटर पैर से दबता ही जाता है। बेतहाशा रफ्तार के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। मौत के आंकड़े डरावने हैं। इसके बाद भी रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार विभाग और अधिकारी बेफिक्र हैं। यूपीडा (उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) अभी तक इसको लेकर सिस्टम तैयार नहीं करा पाया तो आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस औसत स्पीड पर चालान करने को तैयार नहीं है। कुछ स्थानों पर इंटरसेप्टर से ई चालान की रस्म अदायगी की जा रही है।

आगरा- लखनऊ एक्सप्रेस वे अगस्त 2017 से वाहनों के संचालन को खोल दिया गया। तब से मार्च 2018 तक लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 873 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 100 लोगों की मृत्यु हुई और अप्रैल 2018 से दिसम्बर 2018 तक की अवधि के बीच में इसी एक्सप्रेस-वे पर 1113 सड़क हादसे हुए। इनमें 91 लोग मरे। इस तरह 17 महीनों में लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 1966 हादसों में 191 व्यक्ति असमय मारे गए। इन आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन चार हादसे इस एक्सप्रेस-वे पर हुए और औसतन तीन दिन में एक मौत हुई। यह राजफाश उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लखनऊ (यूपीडा) से सूचनाधिकार के अंतर्गत प्राप्त सूचना में हुआ है। इसमें यह भी स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2018 में जो दुर्घटनाएं आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुईं, उनमें पशुओं के कारण होने वाले हादसे 145 थे। यह आंकड़ा आश्चर्यजनक है, क्योंकि लखनऊ एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर रेलिंग व फेंसिंग है। फिर ये जानवर आखिर एक्सप्रेस-वे पर कैसे आए। यदि रेलिंग या फेंसिंग टूटी है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है।

एक्सप्रेस-वे पर चार पहिया हल्के निजी वाहन की निर्धारित गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा है। इसके उल्लंघन को रोकने के लिए यूपीडा अभी तक स्पीड-कैमरे लगाने का काम पूरा नहीं कर सका है। यह एक्सप्रेस-वे हल्के वाहनों के आवागमन के लिए 23 दिसंबर 2016 को खोला गया था। 19 जनवरी 2018 की मध्यरात्रि से टोल टैक्स लिया जाना शुरू हो गया था। एक्सप्रेस-वे पर बेतहाशा गति के कारण वाहनों के टायर फटने, अनियंत्रित होने आदि के कारण हादसे होते हैं। इस पर अंकुश लगाने में यूपीडा व पुलिस प्रशासन असमर्थ रहा है।

औसत गति पर चालान के लिए तैयार नहीं अधिकारी

यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने 18 अप्रैल को आगरा और लखनऊ जोन के एडीजी को पत्र भेजकर औसत गति पर चालान कराने को कहा है। मगर, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ इसके लिए तैयार नहीं हैं। यूपीडा के मुताबिक, दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी तय करने में वाहन द्वारा लिए गए समय से चली दूरी को भाग करने पर वाहन की औसत गति निकाली जाए। यह प्रति घंटा निर्धारित गति सीमा 100 से अधिक पाए जाने पर वाहन का ई चालान किया जाए। मगर, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ इसे व्यवहारिक नहीं मान रहे।

संबंधित जनपद में ही कट सकता है चालान

मोटरव्हीकल एक्ट के तहत वाहन का चालान ओवस्पीडिंग के स्पॉट वाले जनपद द्वारा ही किया जाना चाहिए। लखनऊ एक्स्रपे्रस वे 10 जिलों से होकर गुजरता है। ऐसे में आगरा और लखनऊ से ही कार्रवाई किया जाना संभव नहीं है। इसीलिए अभी यह काम अटका पड़ा है। आरटीओ प्रवर्तन अनिल कुमार का कहना है कि अभी एक्सप्रेस वे पर ओवरस्पीड वाहनों को ट्रेक करने का सिस्टम तैयार हो रहा है। मैनपुरी जनपद में इंटरसेप्टर से टे्रक कुछ वाहनों के चालान कराए जा रहे हैं।

हर माह टोल टैक्स में मिले 18 करोड़

वर्ष 2018 में 96.33 लाख वाहन विभिन्न टोल प्लाजाओं से गुजरे। इनसे टोल टैक्स प्रारंभ होने के बाद वर्ष 2018 में 177 करोड़ से अधिक की राशि टोल टैक्स से प्राप्त हुई। इस प्रकार प्रति माह विभिन्न टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों की संख्या लगभग आठ लाख है। इनसे करीब 15 करोड़ रुपये टोल के रूप में प्रतिमाह प्राप्त होता है।

इन जिलों से गुजरता है एक्सप्रेस वे

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे आगरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, उन्नाव, हरदोई व लखनऊ से गुजरता है। 

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