आगरा किला की जमीन दिखेगी बदली हुई, ASI करेगा मुगलकालीन फर्श का संरक्षण Agra News
मोती मस्जिद से वाटरगेट तक हटाया जाएगा मलबा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने किया टेंडर 24.75 लाख रुपये होंगे व्यय।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा किला में मोती मस्जिद कांप्लेक्स से लेकर वाटर गेट (खिज्री दरवाजे) तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षण किया जाएगा। यहां मलबा हटाकर रास्ते के मूल फर्श को संरक्षित किया जाएगा। इस पर करीब 24.75 लाख रुपये व्यय होंगे।
आगरा किला का एक बड़ा भाग सेना के अधिकार क्षेत्र में है। जबकि मोती मस्जिद, मीना बाजार, शीश महल, वाटर गेट, रतन सिंह की हवेली आदि एएसआइ के अधिकार क्षेत्र में तो हैं, लेकिन यह पर्यटकों के लिए बंद हैं। एएसआइ ने पूर्व में मीना बाजार में साइंटिफिक क्लीयरेंस को टेंच लगवाए थे। उस दौरान मलबे के नीचे मूल फर्श मिला था। दो चरणों में एएसआइ द्वारा मीना बाजार में रास्ते के मूल फर्श को निकालने के बाद संरक्षित किया जा चुका है। अब मोती मस्जिद कांप्लेक्स से वाटर गेट तक संरक्षण की योजना है। मोती मस्जिद के पास कुछ जगह कच्ची है। यहां मलबा भी पड़ा है। मलबे के नीचे छह इंच से लेकर दो फुट की गहराई पर मुगलकालीन मूल फर्श है। मलबा हटाने के बाद जहां-जहां मूल फर्श मिलेगा, उसे उसी रूप में संरक्षित किया जाएगा। जहां फर्श नहीं मिलेगा, वहां नए पत्थर लगाए जाएंगे। 29 तक एएसआइ ने इसके लिए टेंडर मांगे हैं। 30 को टेंडर खुलेंगे।
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि आगरा किला में मोती मस्जिद से वाटर गेट तक मुगलकालीन मूल फर्श का संरक्षण किया जाएगा।
शिवाजी की जेल बता किया था संरक्षण
एएसआइ द्वारा करीब डेढ़ दशक पूर्व वाटर गेट के पास शिवाजी की जेल बताकर संरक्षण कर दिया गया था। इतिहासकारों द्वारा आपत्ति जताए जाने पर एएसआइ ने सुधार किया था। जिस जगह का संरक्षण किया गया था, वो शिवाजी की जेल न होकर बारूद का भंडार था। यहां की छत काफी मोटी है।