हड़ताल से 150 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

जागरण संवाददाता, आगरा: हड़ताल के चलते बुधवार को जिलेभर की राष्ट्रीयकृत बैंकों के ताले नहीं खुले। दो द

By JagranEdited By: Publish:Thu, 31 May 2018 06:06 AM (IST) Updated:Thu, 31 May 2018 06:06 AM (IST)
हड़ताल से 150 करोड़ का लेनदेन प्रभावित
हड़ताल से 150 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

जागरण संवाददाता, आगरा: हड़ताल के चलते बुधवार को जिलेभर की राष्ट्रीयकृत बैंकों के ताले नहीं खुले। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन 150 करोड़ से ज्यादा का लेनदेन प्रभावित हुआ। इसका असर चैक क्लीयरेंस, फॉरन एक्सचेंज सर्विस, लोन क्लीयरेंस पर भी पड़ा।

वेतन पुनरीक्षण और कर्मचारी- अधिकारियों के सभी स्केलों की वेतन वृद्धि की मांग को लेकर यूनाइटेड फोरम फॉर बैंक यूनियन्स लंबे समय से आंदोलनरत है। सरकार और आइबीए से कई दौर की वार्ता के बाद भी समाधान न निकलने पर यूनियन ने दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया था। सभी बैंकों के अधिकारी और कर्मचारी बुधवार को अपनी बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालयों पर जुटे और वहां से जुलूस की शक्ल में सूरसदन स्थित केनरा बैंक की ओवरसीज शाखा पर पहुंचे। यहां धरने के बाद आम सभा की गई।

लाभ के बाद भी घाटा दिखाना नाजायज

एआइबीइए के उपाध्यक्ष मदन मोहन राय ने बताया कि बैंकों ने वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में क्रमश एक लाख नौ सौ, एक लाख 54 हजार नौ सौ 18 व एक लाख 70 हजार तीन सौ 70 करोड़ का परिचालन लाभ अर्जित किया। इसके बाद भी बैंकों की खराब वित्तीय स्थिति का हवाला दिया जा रहा है।

एनपीए के लिए बैंककर्मी जिम्मेदार नहीं

आइबॉक के गोविंद माहेश्वरी ने बताया कि बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को बढ़ते अनार्जक आस्तियों (एनपीए) के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जो दिसंबर 2017 में सात लाख 77 हजार दो सौ 80 करोड़ हो गई थी। क्योंकि बैंककर्मियों की मेहनत से बैंकों का व्यवसाय दो करोड़, एक लाख 25 हजार करोड़ का हो गया है।

आइबीए की मनमानी का नतीजा है हड़ताल

अमरदीप कौशिक ने बताया कि बैंक अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जाना चाहते, इसलिए इससे पहले प्रदर्शन कर सरकार को लगातार चेतावनी दी जा रही थी, लेकिन सरकार और आइबीए की मनमानी के कारण लोगों को दो दिन तक परेशानी झेलनी होगी।

450 शाखाओं के नहीं खुले ताले

शैलेंद्र झा ने बताया कि बुधवार का प्रदर्शन अभूतपूर्व रहा। शहर की 450 बैंकों की शाखाओं के करीब साढ़े चार हजार अधिकारियों और कर्मचारियों ने हड़ताल को समर्थन दिया। राष्ट्रीयकृत बैंकों के ताले नहीं खुले तो प्राइवेट बैंकों ने भी उन्हें समर्थन दिया। इस दौरान राजीव सक्सेना, पीके लवानिया, एचएन चतुर्वेदी, प्रेमचंद ने सभा को संबोधित किया। मीनाक्षी राय, अतिमा प्रजापति, अमिता कुमार, अंशुल, निर्मल, दिव्या कटारा, ज्योति पांडेय समेत सैकड़ों सदस्य मौजूद रहे।

गुरुवार को भी जारी रहेगा प्रदर्शन

प्रदर्शन में बैंककर्मियों की भीड़ उमड़ने से यूनियन पदाधिकारी बेहद उत्साहित दिखे। इसलिए माइक से ही कई बार गुरुवार को भी ऐसे ही उत्साह दिखाने की अपील की गई। ताकि मांगों को मनवाने के लिए कोई कसर न रह जाए।

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