नेकी की पाठशाला, हुनरमंदी का पाठ
आगरा: समाज की बेड़ियां तोड़ निराश जिंदगी को सूरज की किरणों की तरह चमकाना मुश्किल है, लेकिन ऐसा हो रहा है।
आगरा: समाज की बेड़ियां तोड़ निराश जिंदगी को सूरज की किरणों की तरह चमकाना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। इसे मुमकिन करने के लिए महिलाओं के ग्रुप ने तलाकशुदा युवतियों का दर्द समझकर नेकी की पाठशाला में हुनरमंदी का पाठ पढ़ाया और घुट-घुट कर जीने वाले परिवार में खुशी का रंग भर दिया।
विभव नगर की दीवा वारसी 'पहलाकदम मेरी पहचान संस्था' से जुड़ी हुई हैं। संस्था के माध्यम से गरीब व असहाय महिला व किशोरियों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए 15 दिन का कोर्स कराती हैं। संस्था की संरक्षक सरोज गौर के साथ मिलकर वारसी ने अभी सैकड़ों महिला, किशोरी और बच्चियों को आर्टीफिशियल ज्वैलरी, सिलाई, कढ़ाई और आर्टीफिशियल फ्लावर तैयार करना सिखाया है, लेकिन खास बात ये है कि अब वारसी तलाकशुदा युवतियों को आत्मनिर्भर बना रही है। इनमें से दो युवतियों ने हुनर सीख कमाई कर और अपना घर बसा लिया।
कंपनी देती हैं ट्रेनिंग
सरोज गौर बताती हैं कि शहर में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था बहुत लचर है। इसलिए अधिकतर इस समुदाय की लड़कियों को एक निजी कंपनी से 15 दिन ट्रेनिंग दिलवाई है।
40 गरीब बच्चियों को सिखा रहीं गुर
दीवा वारसी के अनुसार संस्था विभव नगर व शहीद नगर की 40 महिलाएं व किशोरियों को कोर्स करा रही हैं। इनको सप्ताह में दो दिन प्रशिक्षण दिया जाता है।
कमाई कर पढ़ रही किशोरियां
गरीब परिवार की किशोरियां प्रशिक्षण के बाद अपने घर पर कमाई के संसाधन तैयार कर रही हैं। निशा और सैफरा ने एक साल पहले प्रशिक्षण लिया था। अब दोनों पैसे कमाकर कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं।