आगरा कॉलेज के प्राचार्य होंगे डॉ. एके गुप्ता

जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. एके गुप्ता होंगे। हाईकोर्ट के आदेश पर क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Mar 2017 10:53 PM (IST) Updated:Mon, 20 Mar 2017 10:53 PM (IST)
आगरा कॉलेज के प्राचार्य होंगे डॉ. एके गुप्ता
आगरा कॉलेज के प्राचार्य होंगे डॉ. एके गुप्ता

जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. एके गुप्ता होंगे। हाईकोर्ट के आदेश पर कुलपति डॉ. अरविंद दीक्षित ने उन्हें कार्यवाहक प्राचार्य बनाने की संस्तुति की है। आगरा कॉलेज प्रबंध समिति द्वारा कार्यवाहक प्राचार्य नरेंद्र सिंह को हटाकर उन्हें प्राचार्य पद का कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा।

आगरा कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक डीपी शर्मा की याचिका पर हाईकोर्ट ने कुलपति को प्राचार्य पद पर फैसला लेने के निर्देश दिए थे। कुलपति ने 17 मार्च को कार्यवाहक प्राचार्य नरेंद्र सिंह का पक्ष सुना। इसके बाद आगरा कॉलेज के रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. एके गुप्ता को कार्यवाहक प्राचार्य बनाने की संस्तुति की है। इसमें कॉलेज द्वारा निर्धारित की गई उनकी वरिष्ठता, शैक्षिक दस्तावेज और एपीआइ स्कोर को देखने के बाद निर्णय लिया है। सोमवार रात को ही याचिकाकर्ता डीपी शर्मा, डॉ. एके गुप्ता सहित आगरा कॉलेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष और मंडलायुक्त चंद्रकांत को इस निर्णस से संबंधित पत्र रिसीव करा दिया गया।

सत्ता की हनक से छोड़ना पड़ा था पद

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 अगस्त को डॉ. मनोज रावत ने वरिष्ठ शिक्षक डॉ. एके गुप्ता को प्राचार्य का चार्ज सौंपा था। मगर, अगले ही दिन विवाद हो गया। मंडलायुक्त चंद्रकांत ने उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. टीवीएस यादव की रिपोर्ट के बाद आगरा कॉलेज में शारीरिक शिक्षा विभाग के नरेंद्र सिंह को प्राचार्य बना दिया था। इस पर प्राचार्य पद के दावेदार डॉ. एके गुप्ता, डॉ. वीके माहेश्वरी और डॉ. रेखा पतसरिया ने सत्ता की हनक में गलत तरीके से प्राचार्य नियुक्त किए जाने के आरोप लगाए थे। मगर, उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया। विवि द्वारा दी गई रिपोर्ट में उच्च शिक्षा अधिकारी द्वारा नरेंद्र सिंह को प्राचार्य बनाए जाना गलत माना है।

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एपीआइ इंडेक्स की हो जांच

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि नरेंद्र यादव की तरह नए कार्यवाहक प्राचार्य की नियुक्ति पर विवाद न हो, ऐसे में अर्हता बिंदुओं को ठीक तरह से देखा जाना चाहिए। इसमें एकेडमिक पर्फोमेंस इंडेक्स (एपीआइ) की सही तरह से जांच निर्धारित समिति से कराई जानी चाहिए। सभी दावेदारों के मूल कागजात चेक हों, अन्यथा फिर विवाद होने पर मामला कोर्ट जा सकता है।

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