पहाड़ी सौंदर्य का जीवंत प्रतिमान: धनौल्टी

By Edited By: Publish:Tue, 24 Jul 2012 07:05 PM (IST) Updated:Tue, 24 Jul 2012 07:05 PM (IST)
पहाड़ी सौंदर्य का जीवंत प्रतिमान: धनौल्टी

चंद्रेश त्रिपाठी गढ़वाल क्षेत्र को प्रकृति ने बेपनाह खूबसूरती से नवाजा है जिसका जीवंत नजारा टिहरी-गढ़वाल के धनौल्टी में अपने चरम पर दिखता है। अनछुए पहाड़ी-सौंदर्य से भरपूर धनौल्टी मसूरी से लगभग 25 किमी दूर स्थित है। गढ़वाली पहाडि़यों में बसा, कोलाहल से दूर उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जनपद में स्थित धनौल्टी पहाड़ी निर्जन क्षेत्र है जहां आपकी छुट्टियां आश्चर्यजनक सैर-सपाटे में बदल जाती हैं। मसूरी के शोरगुल और भीड़-भाड़ से उलट धनौल्टी एकांत-स्थल है जहां सैलानियों को स्वर्ग में होने का अहसास होता है। धनौल्टी 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनोरम हिल रिजॉर्ट है जहां चारों ओर देवदार, ओक, कॉनीफर और रोडोडेण्ड्रॉन के वृक्षों से भरपूर जंगल के बीचोंबीच से होकर पहुंचा जा सकता है। इस हिल-स्टेशन की शीतल पहाड़ी हवा का प्रेममय स्पर्श इसको लंबी प्राकृतिक सैर के लिए आदर्श स्थल बना देता है। मसूरी-चंबा मार्ग पर स्थित धनौल्टी विशेष रूप से गढ़वाल के टिहरी क्षेत्र में बर्फ से ढके हिमालय के बहुत सारे रास्तों का आरंभिक-स्थल है। यहां का सबसे लोकप्रिय-ट्रैक आपको तीन देवियों सुखंडा, चंद्रबदरी और कुंजापुरी के मंदिरों के दर्शन का मौका भी प्रदान करता है। कद्दूखल नाम के छोटे से गांव से सुखंडा देवी के मंदिर पहुंचने वाला रास्ता अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ लेकिन सुरक्षित है और मंदिर के द्वार से होते हुए पीछे की ओर देखने पर खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं। वहीं धनौल्टी से लिंगार-ट्रैक होते हुए देवप्रयाग पहुंचा जा सकता है जहां भागीरथी व अलकनंदा नदियों के मिलने से गंगा की उत्पत्ति होती है। इस मार्ग में कंदीखल, जामनीखल और नीलहरि का सुंदर गांव पड़ता है जहां विलासिता से दूर सामान्य आतिथ्य सुविधाओं के साथ आप रात्रि-विश्राम कर सकते हैं। दूसरा शानदार मार्ग गढ़वाली हिमालय से होकर गुजरने वाला धनौल्टी-नागटिब्बा ट्रैक है जिसके आगे अनोखे जीव-जंतुओं व वनस्पतियों और भव्य प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत पंथारी नामक एक सुंदर गांव पड़ता है। धनौल्टी से होकर जाने वाले अन्य रोमांचक-मार्गो में केम्प्टी जलप्रपात, गंगोत्री व यमुनोत्री ग्लेशियर और केदारनाथ व बद्रीनाथ प्रमुख हैं। साल में किसी भी समय धनौल्टी की सैर की जा सकती है लेकिन अच्छा रहेगा कि मानसून के मौसम में आप यहां की सैर न करें। .................... चंबा धनौल्टी से लगभग 27 किमी और ऋषिकेश से लगभग 59 किमी दूर टिहरी-गढ़वाल जनपद स्थित चंबा भी खूबसूरत हिल रिजॉर्ट है जहां सुदूरवर्ती पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखता है। हवा बिखेरती घाटी, लहरदार सड़कें, विभिन्न रंगों के रोडोडेंड्रॉन, कतारबद्घ देवदार व चीड़ के वृक्ष और अनजान पहाड़ी चोटियों के रेखाचित्र सभी मिलकर इस छोटे से कस्बे में रोमांस और रहस्य का एक अनोखा माहौल बना देते हैं। यहां के इकलौते ट्रैफिक के रूप में बकरियों के बेपरवाह झुंड से प्राय: आपका सामना हो जाता है। चंबा धनौल्टी के बिल्कुल समीप पड़ता है इसीलिए अगर आप धनौल्टी जाएं तो चंबा के भव्य प्राकृतिक संसार में एक पूरी शाम निश्चित रूप से अवश्य गुजारें। आप चंबा के निकट रानी चौरी में अपना कैंप भी लगा सकते हैं। ........ खास बातें कैसे पहुंचें हवाई-मार्ग: देहरादून स्थित जॉली ग्रांट धनौल्टी का निकटतम हवाई अड्डा है। देहरादून से 24 किमी दूर स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डा मसूरी से लगभग 60 किमी और धनौल्टी से 80 किमी दूर है। दिल्ली से देहरादून के लिए रोजाना उड़ानें हैं। यहां से सड़क मार्ग से मसूरी होते हुए धनौल्टी पहुंचा जा सकता है। रेल-मार्ग: देहरादून यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी प्रमुख नगरों से उत्कृष्ट रेल सेवा द्वारा जुड़ा है। देहरादून रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी द्वारा आप धनौल्टी पहुंच सकते हैं। सड़क-मार्ग: मसूरी-चंबा मार्ग पर स्थित धनौल्टी आसपास के सभी प्रमुख नगरों व कस्बों से अच्छी सड़कों द्वारा जुड़ा है। दिल्ली से मेरठ, रूड़की, छुटमलपुर, देहरादून व मसूरी होते हुए धनौल्टी पहुंचा जा सकता है। ......... गढ़वाली व्यंजन सुंदर स्थलों के साथ ही गढ़वाल अंचल अपने विशिष्ट व्यंजनों के लिए भी काफी मशहूर है। चैनसू, काफुली, झोली, फानु, तिल की चटनी, थेकवानी, बादी, रोट, अरसा, कप्पा, सिंगाल, स्वाला, गुलगुला, भांग की खटाई और झंगोरा की खीर जैसे गढ़वाली व्यंजनों का स्वाद अनोखा होने के साथ ही अत्यंत पौष्टिक भी होता है जिसका जायका धनौल्टी व चंबा भ्रमण में जरूर लें। ........................ पहाडि़यों पर ड्राइविंग करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें 1. यात्रा शुरू करने से पहले ब्रेक की जांच कर लीजिए। ब्रेक-ऑयल भर लीजिए तथा ब्रेक-शूज और ब्रेक-प्रेशर की भी जांच कर लीजिए। 2. ड्राइविंग शुरू करने से पूर्व टायर्स की जांच कर लें। घिसा हुआ टायर संकेत देता है कि सस्पेंशन के साथ कोई न कोई समस्या है। 3. गियर को न्यूट्रल में न रखें। ईधन को बचाने के लिए इंजन को बंद रखें वरना इससे खतरा भी हो सकता है। 4. पहाड़ी चढ़ाइयों पर पीछे से आने वाली गाडि़यों को पास दे देना चाहिए। 5. न दिखने वाले सभी मोड़ों पर हार्न बजाएं और अपनी खिड़की के शीशे को थोड़ा खुला रखें। 6. पहाड़ी मोड़ों पर कभी भी ओवरटेक करने का प्रयास न करें। 7. ड्राइविंग के दौरान संगीत अच्छी चीज है लेकिन ये इतना तेज न हो कि दूसरी गाडि़यों की आवाज आपको सुनाई न दे। 8. गाड़ी को कभी भी ओवरलोड न करें। वरना आपकी गाड़ी के लिए तो मुश्किल होगी ही साथ ही स्टियरिंग पर भी अतिरिक्त दबाव महसूस होगा। 9. वर्षा, हिमपात या भू-स्खलन होने पर अपनी गाड़ी सड़क के पास किसी खुले स्थान पर रोक लें। 10. जब तक इमरजेंसी न हो तब तक रात में ड्राइविंग न करें। 11. सामने आती गाड़ी के हेडलाइट्स को न देखें। अपनी खिड़कियों और विंडशील्ड को साफ-सुथरा रखें। 12. पहाड़ी चढ़ाइयों पर गाड़ी पार्क करते हुए हैंड-ब्रेक का प्रयोग करें। गाड़ी को पहले गियर में पार्क करें। 13. पहाड़ी ढ़लान पर ड्राइविंग करते समय ब्रेक का प्रयोग कम करके निचले गियर का प्रयोग करें। ब्रेक का आवश्यकता से अधिक प्रयोग ब्रेक-फेल का कारण बन सकता है। 14. बरसात के दिनों में या पानी भरी जगहों पर ड्राइविंग करते समय क्लच से गति को नियंत्रित रखते हुए निचले गियर में ड्राइव करना अच्छा होता है। ऐक्सीलेटर पर दबाव रखकर एग्जास्ट में पानी जाने से रोका जा सकता है तथा इंजन को भी बंद होने से बचाया जा सकता है। यदि आप पानी से भरे क्षेत्र में हों तो गियर को न बदलें। 15. बरसात में या पानी भरे इलाकों में ड्राइविंग करते हुए ब्रेक प्राय: गीले हो जाते हैं इसलिए ब्रेकिंग-क्षमता कम हो जाती है। ब्रेक-ड्रम और ब्रेक-शूज को सूखा रखने के लिए ब्रेक को बार-बार पंप करते रहें। 16. सीट-बेल्ट पहनें और अपने साथी-यात्रियों से भी ऐसा करने को कहें। 17. मुड़ते हुए सही इंडिकेटर का प्रयोग करें। बाएं मोड़ की अपेक्षा दाएं मोड़ में ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत होती है इसलिए दाहिना मोड़ लेते हुए आप अतिरिक्त सावधानी जरूर बरतें।

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