मोबाइल टेलीफोनी के दूसरे दौर की क्रांति का आगाज जल्द

25 साल पहले भारत में मोबाइल की शुरुआत हुई थी और उस दौरान 18 रुपये प्रति मिनट कॉल रेट थी। लेकिन अब भारत में दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट और कॉल रेट है

By Renu YadavEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 09:46 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 09:46 AM (IST)
मोबाइल टेलीफोनी के दूसरे दौर की क्रांति का आगाज जल्द
मोबाइल टेलीफोनी के दूसरे दौर की क्रांति का आगाज जल्द

नई दिल्‍ली, जागरण ब्‍यूरो। 31 जुलाई 1995 को जब भारत में मोबाइल टेलीफोनी का आरंभ हुआ था तो कई विशेषज्ञों ने भारत जैसे देश में इसके भविष्य पर संशय जताया था। इसके पीछे वजह भी थी। मोबाइल हैंडसेट की कीमत 40 हजार रुपये थी और कॉल रेट था 18 रुपये प्रति मिनट। 25 वर्षो बाद आज देश में 72 करोड़ लोगों के मोबाइल फोन में इंटरनेट कनेक्शन है और भारत में कॉल रेट सबसे सस्ता है। इस सेक्टर में बड़े घोटाले भी हुए और कारपोरेट प्रतिद्वंदिता भी हुई। इसके बावजूद यह आम जनजीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सरकार की कई फ्लैगशिप योजनाएं आज इनके बदौलत लागू हो रही हैं। उद्योग जगत इनके बिना काम करने का सपना भी नहीं देख सकता। चुनौतियां अभी भी कम नहीं है लेकिन सरकार व उद्योग जगत मोबाइल टेलीफोनी के दूसरे दौर की क्रांति का आगाज करने में जुटी हैं। सरकार 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया की तैयारी में है तो इस सेक्टर की घरेलू कंपनियां 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाने की तैयारी में है।

दूरसंचार विभाग (डॉट) के अधिकारियों के मुताबिक मोबाइल टेलीफोन सेवा के तेजी से प्रसार के पीछे एक बड़ी वजह यह रही है कि इस सेक्टर में सरकार की भूमिका सिर्फ सहायक की रही है, आगे भी सरकार इसी भूमिका में रहेगी। अगले कुछ वर्ष सरकार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहेगी जब मोबाइल टेलीफोनी की घुसपैठ आम जन-जीवन में और ज्यादा हो जाएगी। इसके लिए नीतियों में बदलाव किये जाएंगे। सरकार नए माहौल में एक नीति तैयार कर रही है। इसके अलावा डॉट 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करने की तैयारी में है जिसके बाद मोबाइल क्रांति का एक नया दौर शुरु होगा। साथ ही जिस तरह से 5जी स्पेक्ट्रम से संबंधित इकोसिस्टम भारत में विकसित हो रहा है उससे संकेत मिल रहा है कि हम नई क्रांति में भारतीय कंपनियों की भूमिका ज्यादा अहम होगी।

मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआइ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एस पी कोचर का कहना है कि, ''भारत अभी मोबाइल टेलीफोनी में चीन के बाद 120 करोड़ कनेक्शन के साथ दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक तकनीकी बाजार है। भारत के आर्थिक सुधार का सबसे सफल उदाहरण इसी सेक्टर में दिया जा सकता है जिसमें निजी कंपनियों ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया है। अब जबकि डिजिटल फ्यूचर की बात की जा रही है तब उसमें भी सब कुछ मोबाइल पर ही आधारित होगा।'' 

सीओएआई की तरफ से जारी एक डाटा के मुताबिक जब देश में मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई थी तब एक हैंडसेट 40 हजार रुपये का था और कॉल करने पर 18 रुपये प्रति मिनट का शुल्क लगता था। आज भारत दुनिया में सबसे सस्ती दर पर मोबाइल कॉल व मोबाइल पर इंटरनेट सेवा देना वाला देश है। देश में अभी 116 करोड़ कनेक्शन हैं जिसमें से 72 करोड़ के मोबाइल फोन पर इंटरनेट कनेक्शन है। सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में मोबाइल फोन रखने वालों की संख्या 52 करोड़ हो गई है।

सीओएआइ की तरफ से सरकार को मोबाइल टेलीफोनी के रजत दिवस पर कुछ मांग भी रखे गए हैं ताकि उद्योग जगत की मौजूदा चुनौतियां कम हो सके। इसमें इसमें स्पेक्ट्रम शुल्क को घटा कर तीन फीसद करने, लाइसेंस फीस को 8 फीसद से घटा कर 3 फीसद करने, उक्त शुल्कों को जीएसटी से मुक्त करने, 4जी व 5जी नेटवर्क से जुड़े मशीनरी आयात को शुल्क मुक्त करने जैसी मांग रखी गई है।

chat bot
आपका साथी