प्रसन्नता का रहस्य

एक व्यापारी का पुत्र प्रसन्नता का रहस्य जानना चाहता था। उसके पिता ने उसे एक बुद्धिमान वृद्ध के पास भेजा। कई दिनों के सफर के बाद युवक एक पर्वत पर बने किले तक पहुंच गया, जहां बुद्धिमान वृद्ध रहता था। उसने देखा कि किले में कोई उत्सव-सा माहौल है। बुद्धिमान वृद्ध

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 01 Sep 2015 02:47 PM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2015 02:53 PM (IST)
प्रसन्नता का रहस्य

एक व्यापारी का पुत्र प्रसन्नता का रहस्य जानना चाहता था। उसके पिता ने उसे एक बुद्धिमान वृद्ध के पास भेजा।

कई दिनों के सफर के बाद युवक एक पर्वत पर बने किले तक पहुंच गया, जहां बुद्धिमान वृद्ध रहता था। उसने देखा कि किले में कोई उत्सव-सा माहौल है। बुद्धिमान वृद्ध लोगों से घिरा हुआ था। युवक को उससे मिलने के लिए दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। बारी आने पर युवक ने वृद्ध के सामने अपनी जिज्ञासा रखी। वृद्ध ने कहा कि अभी वह बहुत व्यस्त है, प्रसन्नता का रहस्य फुरसत में बताएगा, तब तक वह किले के आसपास घूम आए।

वृद्ध ने कहा, च्घूमने जाने से पहले मेरा एक काम कर दो। वृद्ध ने युवक को एक चम्मच में थोड़ा तेल डालकर दे दिया और कहा, च्इस चम्मच को अपने हाथ में ही रखे रहना। इसका तेल न गिरने पाए। युवक चम्मच लेकर आगे बढ़ा। सावधानी से किले की सीढ़ियां चढ़ीं- उतरीं, तमाम कमरों, बगीचों से गुजरा, पर उसने तेल को न गिरने दिया। दो घंटे बाद वह वृद्ध के पास था।

वृद्ध ने युवक से कहा, च्शाबाश। क्या तुमने भोजन कक्ष में टंगे बेशकीमती फारसी परदे देखे? तुमने वह बाग तो

देखे ही होंगे, जिन्हें तराशने में हमारे सबसे हुनरमंद मालियों को भी दस साल लग गए। तुमने वे नायाब किताबें भी देखी होंगी, जो लाइब्रेरी में रखी हैं। युवक ने न में सिर हिलाया। क्योंकि उसका सारा ध्यान तो चम्मच के तेल पर था। वृद्ध समझ गया। उसने कहा, च्कोई बात नहीं। जाओ और सब कुछ ध्यान से देखकर आओ। चम्मच को हाथ में थामे हुए युवक ने आराम से किले को देखा।

किले में मौजूद सुंदर कलाकृतियों और सारे नजारों को बारीकी से देखा। वापस लौटकर उसने वृद्ध को विस्तार से बताया कि उसने क्या-क्या देखा। वृद्ध ने कहा, च्ठीक है, लेकिन चम्मच का तेल कहां है, जिसकी हिफाजत करने

को मैंने कहा था? युवक ने जब चम्मच पर नजर डाली, तो उसके होश उड़ गए।

तेल कब का चम्मच से गिर चुका था। युवक के चेहरे पर अपराधबोध देखकर वृद्ध ने कहा, च्दुखी क्यों होते हो युवक,मैं तो तुम्हें प्रसन्नता का रहस्य बता रहा था। प्रसन्नता का रहस्य इसी बात में है कि तुम इस दुनिया के सारे करिश्मे देख लो, फिर भी तेल की उन बूंदों को चम्मच से न छलकने दो।

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