मकर संक्रांति व पोंगल : करें नई शुरुआत भगवान राम से प्रेरणा लेकर

इस हफ्ते के स्पॉट में सदगुरु मकर संक्रांति व पोंगल पर अपनी शुभकामनाएं दे रहे हैं। पोंगल, लोहड़ी या मकर संक्रांति को देश के अनेक हिस्सों में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है। जानें भगवान राम के जीवन की एक घटना जो हमें प्रेरणा देती है एक

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2016 12:22 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2016 12:25 PM (IST)
मकर संक्रांति व पोंगल : करें नई शुरुआत भगवान राम से प्रेरणा लेकर
मकर संक्रांति व पोंगल : करें नई शुरुआत भगवान राम से प्रेरणा लेकर

इस हफ्ते के स्पॉट में सदगुरु मकर संक्रांति व पोंगल पर अपनी शुभकामनाएं दे रहे हैं। पोंगल, लोहड़ी या मकर संक्रांति को देश के अनेक हिस्सों में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है। जानें भगवान राम के जीवन की एक घटना जो हमें प्रेरणा देती है एक नई शुरुआत करने की…

जब आप लोगों के एक समूह के साथ रहकर कुछ समय बिताते हैं, तो धीरे-धीरे समय बीतने के साथ आप उनके बारे में सब कुछ जान जाते हैं। कभी वे सुंदर लगते हैं, कभी क्रोधी, कभी उदार कभी ओछे – सभी का नाटक आपकी आंखों के सामने आ जाता है। आप उनके सोचने और महसूस करने का तरीका जान जाते हैं। इसके कारण हो सकता है, आप हर व्यक्ति के बारे में कोई राय कायम कर लें।

पोंगल के आने के साथ ही, वर्ष का वो समय आ रहा है, जब आपको सभी पुरानी चीज़ों को जला देनी चाहिए। सूर्य दक्षिणायन या फिर दक्षिणी गति से अब उत्तरी गति की ओर बढ़ रहा है – साधना पद से कैवल्य पद की ओर। इसका मतलब है फसल पकने का समय आ गया है। उपज बटोरने से पहले फसल को काटना पड़ता है। दूसरों के प्रति आपमें जो भी राय, विचार या निष्कर्ष हों उन्हें छोड़ देने का समय है ये। एक खूबसूरत प्राणी के रूप में पुष्पित होने की संभावना सभी में मौजूद है। जितनी ज्यादा राय, विचार, निष्कर्ष और पूर्वाग्रह आपमें होंगे, आपमें और उस संभावना में दूरी उतनी ही ज्यादा होगी। खुद को और बाकी सभी को एक नई शुरुआत करने का मौक़ा दें।

रामायण में एक सुंदर घटना घटी। इससे पहले राम के जीवन में बहुत सी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटित हो चुकी थीं। उन्हें अपने राज्य से बाहर निकाल दिया गया था, उन्हें जंगल जाना पड़ा और एक मुश्किल जीवन जीना पड़ा। फिर उनकी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया। प्रेम और चिंता से भरे राम दक्षिण भारत पहुंचे, एक सेना तैयार की, और श्रीलंका पहुंच कर युद्ध लड़ा। रावण को मारकर उन्होंने युद्ध जीता।

जैसा कि आप जानते हैं, रावण के दस सिर थे। रावण को मारने के लिए, राम को सभी दस सिर काटने पड़े। युद्ध जीतने के बाद राम बोले – ‘मैं हिमालय जाकर प्रायश्चित करना चाहता हूं, क्योंकि मैंने एक गलत काम किया है। मैंने एक ऐसे मनुष्य को मार दिया जो महान शिव भक्त था, एक विद्वान था, एक महान राजा था और दानवीर था।’ ये सब सुनकर सबको बहुत आश्चर्य हुआ। राम के भाई लक्ष्मण बोले – ‘आप क्या बात कर रहे हैं? उसने आपकी पत्नी का हरण किया था’। राम बोले – ‘उसके दस सिरों में एक सिर ऐसा था जिसमें बहुत ज्ञान था, पवित्रता और भक्ति थी। उस सिर को काटने का पश्चाताप है मुझे’।

हर किसी के दस या ज्यादा सिर होते हैं। एक दिन, आपका सिर लालच से भरा होता है, दूसरे दिन ईर्ष्या से। फिर किसी दिन नफरत, प्रेम, कामनाएं, सुंदर या फिर कुरूपता से। या फिर एक ही दिन में आप सभी भावनाओं से गुजरते हैं। अगर आप किसी को ईर्ष्या के एक पल में देखते हैं, तो आप निष्कर्ष निकाल लेते हैं कि वो ईर्ष्यालु है। अगर आप किसी को लालच के एक पल में देखते हैं, तो आप निष्कर्ष निकाल लेते हैं कि वह लालची है। पर असल में, अलग-अलग समय पर, सभी में अलग-अलग सिर काम करते हैं। सभी में कम-से-कम एक सिर प्रेम, सुंदरता, उदारता और करुणा का होता है। जो गलती लोग करते हैं वो ये है कि एक गुण या अवगुण की पहचान करने की जगह उस व्यक्ति की बुराई करते हैं।

गुलाब के पौधे में गुलाब से ज्यादा कांटे होते हैं। पर हम फिर भी उसे गुलाब का पौधा कहते हैं, कांटे का नहीं, क्योंकि हम सुंदरता को देखते हैं। आम के पेड़ में आम से ज्यादा पत्ते होते हैं, पर हम फिर भी उसे आम का पेड़ कहते हैं क्योंकि हम फलों की मिठास को देखते हैं। हर मनुष्य में मिठास की कम-से-कम एक बूंद तो होती ही है। हम उसे क्यों नहीं देखते?

राम कहना चाहते थे, कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रावण ने कितने बुरे काम किए हैं, उसमें एक आयाम ऐसा था जो कि एक जबरदस्त संभावना से भरा था। इस साधारण से नियम का पालन करें – जब भी आपको किसी में कुछ गलत दिखे, तो आप उस अवगुण की बुराई करें न कि उस व्यक्ति की। अगर आप अपने जीवन में इस विवेक को शामिल कर लेते हैं तो आप अपने बोझों से मुक्ति पा लेंगे। जब आप दूसरों के साथ ऐसा करेंगे तो आपके साथ भी ऐसा होगा।

किसी ने एक बार कहा था – ‘प्रेम एक ऐसे पुरुष और स्त्री के बीच होता है जो एक दुसरे को नहीं जानते’। ये तभी सही है जब आप एक सारहीन और आलोचनात्मक – या फिर नासमझी भरा जीवन जीते हैं। वरना आप जितना किसी को जानते हैं, उतना ही अधिक प्रेम और करुणा आपमें जागना चाहिए। जब आप उनके सभी संघर्ष जान जाते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि वे भी आपकी ही तरह मनुष्य हैं।

राम ने ऐसे मनुष्य को मारने का प्रायश्चित्त किया जिसने उनकी पत्नी का हरण किया था, और कई सारे बुरे काम किये थे। फिर भी राम ने रावण के इस सिर को पहचाना जो कि सुंदर था। राम एक जबरदस्त बोध वाले मनुष्य हैं, और इसी लिए इनकी पूजा की जाती है। वे अपने जीवन में कई सारी चीज़ों में विफल हुए, पर उनकी विफलता ने कभी उनके बोध और गुणों को नहीं बदला। जीवन ने उनके साथ चाहे जो भी किया, वे हमेशा उससे ऊपर रहे।

राम ने ऐसे मनुष्य को मारने का प्रायश्चित्त किया जिसने उनकी पत्नी का हरण किया था, और कई सारे बुरे काम किये थे। फिर भी राम ने रावण के इस सिर को पहचाना जो कि सुंदर था। राम एक जबरदस्त बोध वाले मनुष्य हैं, और इसी लिए इनकी पूजा की जाती है। मैं चाहता हूँ कि आप राम का ये उदाहरण पूरे साल याद रखें। अगर आपमें व्यक्ति की बुराई करने के बजाए गुणों को पहचानने की समझ है, तो गुरु पूर्णिमा और दक्षिणायन आने से पहले, आप एक अच्छी फसल काट लेंगे। गुलाब के पौधे में गुलाब से ज्यादा कांटे होते हैं। पर हम फिर भी उसे गुलाब का पौधा कहते हैं, कांटे का नहीं, क्योंकि हम सुंदरता को देखते हैं। आम के पेड़ में आम से ज्यादा पत्ते होते हैं, पर हम फिर भी उसे आम का पेड़ कहते हैं क्योंकि हम फलों की मिठास को देखते हैं।

हर मनुष्य में मिठास की कम-से-कम एक बूंद तो होती ही है। हम उसे क्यों नहीं देखते? कृपया हर किसी के साथ ऐसा ही करें। ऐसे लोग जिन्हें आप भयानक मानते हैं, उनमें भी मिठास की एक बूंद को पहचानने का प्रयास करें। जब आप उनमें मिठास को पहचानेंगे तभी आपमें भी मिठास झलकेगी। इसका ये मतलब नहीं कि आप अपनी आंखें मूंद लें। आप पेड़ में पत्ते देखते हैं, आप पेड़ में कांटे देखते हैं – पर आप फूलों और फलों का होना स्वीकारते हैं। बस इतना ही करने के जरुरत है। आइये इसे कर दिखाएं।

सदगुरु

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