हरिशयनी एकादशी: धन धान्य की होती प्राप्ति, कष्टों से मिलती छुटकारा

पंचांग के अनुसार 27 जुलाई को हरिशयनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। हरिशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के लिए भगवान विष्णु श्यनगार में जाएंगे। इस कारण मांगलिक आयोजन, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि पर चार माह के लिए ब्रेक लग जाएगी, लेकिन चतरुमासा भगवान की अराधाना के लिए

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2015 12:18 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2015 12:27 PM (IST)
हरिशयनी एकादशी: धन धान्य की होती प्राप्ति, कष्टों से मिलती छुटकारा

पंचांग के अनुसार 27 जुलाई को हरिशयनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। हरिशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के लिए भगवान विष्णु श्यनगार में जाएंगे। इस कारण मांगलिक आयोजन, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि पर चार माह के लिए ब्रेक लग जाएगी, लेकिन चतरुमासा भगवान की अराधाना के लिए अति शुभ माना गया है। इसी दिन से चातुर्मास उत्सव प्रारंभ हो गया। जगह-जगह धर्मालुजन व्रतोत्सव के साथ चार माह तक के व्रत का संकल्प लेंगे। पंड़ितों के अनुसार पाप नाश, सौभाग्य तथा संतान प्राप्ति के लिए पांच दिवसीय गौ पद्म व्रतोत्सव किया जाता है। यह व्रत एकादशी से पूर्णिमा तक किया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु का लक्ष्मी के साथ आह्वान कर पूजन करने का शास्त्रों में विधान है, जिससे धन धान्य की प्राप्ति होती है और कष्टों से छुटकारा मिलता है।

पूजा के नियम

पूजन के तहत 33 कमल की माला चढ़ाकर इतनी ही बार नमस्कार तथा प्रदक्षिणा करते हैं। पांच वर्ष तक व्रत के बाद उद्यापन करते हैं। मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मान्यता

पौराणिक प्रसंग है राजा बलि पर वैष्णव भक्त था। इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। भगवान ने उससे युद्घ करना उचित न समझा और छलपूर्वक वामन रूप धारण कर उससे तीन पग भूमि मांग ली। तब स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक आदि नाप लिए। तीसरा पैर राजा के सिर पर रखा। इंद्र को स्वर्ग देकर राजा बलि को पाताल भेज दिया। इसी के अनंतर भगवान ने चातुर्मास के लिए शयन किया।

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