देवों के आयुध

देवता व्यक्ति नहीं, शक्ति का स्वरूप हैं। निश्चित रूप से उनके प्रिय अस्त्रों-शस्त्रों में भी गहरे अर्थ छिपे हैं:-

By Edited By: Publish:Wed, 21 Nov 2012 08:45 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2012 08:45 AM (IST)
देवों के आयुध

देवता व्यक्ति नहीं, शक्ति का स्वरूप हैं। निश्चित रूप से उनके प्रिय अस्त्रों-शस्त्रों में भी गहरे अर्थ छिपे हैं:-

अंकुश : बुद्धि के देवता गणपति का यह अस्त्र आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। हाथी को काबू में रखने वाला अंकुश यह संदेश देता है कि विवेक द्वारा ही इंद्रियों एवं महाशक्तिशाली मन पर संयम रखा जा सकता है।

चक्र : भगवान विष्णु का अस्त्र चक्र जीवन की गतिशीलता का प्रतीक है। ठहराव में विकृति आती है, इसी कारण सृष्टि का कण-कण गतिशील है। भगवान विष्णु ने हर युग की परिस्थितियों के अनुकूल गुणों को धारण कर ही धरती पर जन्म लिया और अत्याचार का अंत किया। वस्तुत: यह अस्त्र उन सिद्धांतों, आदर्र्शो और उद्देश्यों का परिचायक है, जो युगों से सत्यमेव जयते का शंखनाद करते आ रहे हैं।

गदा : अनीति एवं अत्याचार का संहार करने वाले भगवान विष्णु का यह अस्त्र बुद्धि का प्रतीक है। इसे दंडनीति का पर्याय भी कहा गया है। गोल, कुंभाकार, अंडाकार आदि रूपों में सुशोभित गदा का रामायण और महाभारत में व्यापक उल्लेख मिलता है। वृहत्संहिंता में गदा को वासुदेव कृष्ण के पुत्र साम्ब का आयुध माना जाता है।

त्रिशूल : वैदिक साहित्य के अनुसार मनुष्य के कल्याण के मार्ग में तीन बंधन हैं-लोभ, मोह और अहंकार। शिव का त्रिशूल इन्हीं का विनाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है।

खड्ग : मां काली का शस्त्र खड्ग आकाश-तत्व का प्रतीक है। इसे वैराग्य को सूचित करने वाला प्रतीक भी माना गया है। शुंगकाल, मौर्यकाल एवं गुप्तकाल में मां काली के अतिरिक्त अन्य देवों के साथ भी खड्ग का अंकन किया गया है।

[साभार : देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार]

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