देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र कंस का वध करेगा

त्रेतायुग के अन्त में और द्वापर युग के प्रारंभ समय में निन्दितकर्म को करने वाला कंस नाम का एक अत्यंत पापी दैत्य हुआ। उस दुष्ट व नीच कर्मी दुराचारी कंस की देवकी नाम की एक सुंदर बहन थी। देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र कंस का वध करेगा।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 27 Aug 2015 05:21 PM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2015 08:57 AM (IST)
देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र कंस का वध करेगा

त्रेतायुग के अन्त में और द्वापर युग के प्रारंभ समय में निन्दितकर्म को करने वाला कंस नाम का एक अत्यंत पापी दैत्य हुआ। उस दुष्ट व नीच कर्मी दुराचारी कंस की देवकी नाम की एक सुंदर बहन थी। देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र कंस का वध करेगा।

नारदजी की बातें सुनकर इंद्र ने कहा, 'हे महामते! उस दुराचारी कंस की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।' क्या यह संभव है कि देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र अपने मामा कंस की हत्या करेगा। इंद्र की सन्देह भरी बातों को सुनकर नारदजी ने कहा, 'हे अदितिपुत्र इंद्र! एक समय की बात है।'

उस दुष्ट कंस ने एक ज्योतिषी से पूछा कि ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ज्योतिर्विद! मेरी मृत्यु किस प्रकार और किसके द्वारा होगी। ज्योतिषी बोले, हे दानवों में श्रेष्ठ कंस! वसुदेव की धर्मपत्नी देवकी जो वाक्‌पटु है और आपकी बहन भी है। उसी के गर्भ से उत्पन्न उसका आठवां पुत्र जो कि शत्रुओं को भी पराजित कर इस संसार में कृष्ण के नाम से विख्यात होगा, वही एक समय सूर्योदयकाल में आपका वध करेगा।

ज्योतिषी की बातें सुनकर कंस ने कहा, बुद्धिमानों में अग्रण्य अब आप यह बताएं कि देवकी का आठवां पुत्र किस मास में किस दिन मेरा वध करेगा। ज्योतिषी बोले, हे महाराज! माघ मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को सोलह कलाओं से पूर्ण श्रीकृष्ण से आपका युद्ध होगा। उसी युद्ध में वे आपका वध करेंगे।

इसलिए हे महाराज! आप अपनी रक्षा यत्नपूर्वक करें। इतना बताने के पश्चात नारदजी ने इंद्र से कहा, ज्योतिषी द्वारा बताए गए समय पर ही कंस की मृत्युकृष्ण के हाथ निःसंदेह होगी। तब इंद्र ने कहा, हे मुनि! उस दुराचारी कंस की कथा का वर्णनकीजिए, और बताइए कि कृष्ण का जन्म कैसे होगा तथा कंस की मृत्यु कृष्ण द्वारा किस प्रकार होगी।

इंद्र की बातों को सुनकर नारदजी ने पुनः कहना प्रारंभ किया, उस दुराचारी कंस ने अपने एक द्वारपाल से कहा, मेरी इस प्राणों से प्रिय बहन की पूर्ण सुरक्षा करना। द्वारपाल ने कहा, ऐसा ही होगा। कंस के जाने के पश्चात उसकी छोटी बहन दुःखित होते हुए जल लेने के बहाने घड़ा लेकर तालाब पर गई। उस तालाब के किनारे एक घनघोर वृक्ष के नीचे बैठकर देवकी रोने लगी।

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