गुणी व्यक्ति सबका प्रिय बन सकता है

अच्छा बनने की राह में जिस व्यक्ति से कुछ सीखा जाता है उसका बड़ा-छोटा होना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है उससे सीखी जाने वाली बात। यदि किसी बहुत बड़ी हस्ती में कोई ऐब है तो वह त्याच्य है और यदि किसी बहुत छोटे आदमी में कोई सद्गुण है तो वह

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 02 May 2016 10:06 AM (IST) Updated:Mon, 02 May 2016 10:15 AM (IST)
गुणी व्यक्ति सबका प्रिय बन सकता है
गुणी व्यक्ति सबका प्रिय बन सकता है

अच्छा बनने की राह में जिस व्यक्ति से कुछ सीखा जाता है उसका बड़ा-छोटा होना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है उससे सीखी जाने वाली बात। यदि किसी बहुत बड़ी हस्ती में कोई ऐब है तो वह त्याच्य है और यदि किसी बहुत छोटे आदमी में कोई सद्गुण है तो वह ग्राह्य है।
यही कारण है कि दार्शनिक प्लेटो अपने पास कुछ सीखने और ज्ञान हासिल करने वालों से स्वयं ही सीखने लगते थे। उनका मानना था कि मानव का लक्ष्य मानवता की प्राप्ति है, व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व की प्राप्ति नहीं। दार्शनिक प्लेटो का आदर्श सार्वभौम अच्छाई है, सीमित अच्छाई नहीं। मनुष्य को ब्रrा का अंश कहा जाता है। उसके अंदर भगवान का निवास माना जाता है। इससे सिद्ध है कि उसमें प्रच्छन्न रूप से इतनी शक्ति मौजूद रहती है कि वह अपने भीतर के सत् तत्व का सहारा लेकर अपनी सारी राक्षसी वृत्तियों का दमन कर सकता है और कितना भी अच्छा और कितना भी बड़ा बन सकता है।
मनुष्य अपना निर्माता स्वयं है, जिसके लिए वह प्रेरणा कहीं से भी, किसी से भी ले सकता है। यदि वह हर व्यक्ति से कुछ लेने और सीखने का रास्ता खुला रखे तो उसकी उपलब्धियों की सीमा नहीं रहेगी। हमारे जीवन के गुणात्मक पहलू को ऊंचा बनाने के लिए आदमी की तीसरी आंख जाग्रत होनी चाहिए और चरित्रनिष्ठा का विकास भी होना चाहिए।
जो आदमी अनीति के रास्ते पर चलता है, उसका बीच में ही पतन हो जाता है। इसलिए व्यक्ति सही-गलत और अच्छे-बुरे का विवेक रखता हुआ अपने गुणात्मक पक्ष को मजबूत बनाने का प्रयास करे। गुणी व्यक्ति सबका प्रिय बन सकता है। हमारी दुनिया में कुछ श्रेष्ठ लोग होते हैं, कुछ मध्यम या सामान्य स्थिति के लोग होते हैं और कुछ अधम स्थिति के लोग भी मिल जाते हैं। यह दुनिया बहुरंगी है। एक समूह या समाज जहां होता है वहां कुछ व्यक्ति बहुत अच्छे मिल सकते हैं तो कुछ व्यक्ति सामान्य की रेखा से नीचे भी मिल सकते हैं। जिस प्रकार समुद्र में अच्छी चीजें मिलती हैं तो अवांछनीय और अनपेक्षित चीजें भी मिल सकती हैं। स्पष्ट है कि एक समूह में कुछ बातों में समानता हो सकती है, तो कुछ बातों में असमानता भी देखने को मिलती है, परंतु श्रेष्ठ व्यक्तियों को देखकर मध्यम स्थिति वाले व्यक्ति स्वयं में श्रेष्ठता का विकास कर सकते हैं।

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