Lord Shiva: राजा दक्ष को क्यों लगाया था भगवान शंकर ने बकरे का सिर? यहां जानिए पौराणिक कथा

सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। अगर आप उन्हें प्रसन्न करना चाहते है तो आपको धार्मिक कार्य के साथ लोगों की मदद अवश्य करनी चाहिए क्योंकि वे दूसरों सहायता करने पर बहुत खुश होते हैं। वहीं आज हम उनकी महिमा का गुणगान करने के लिए एक ऐसी कथा का जिक्र करेंगे जिसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है तो आइए यहां पढ़ते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Sat, 27 Apr 2024 02:34 PM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2024 02:34 PM (IST)
Lord Shiva: राजा दक्ष को क्यों लगाया था भगवान शंकर ने बकरे का सिर? यहां जानिए पौराणिक कथा
Lord Shiva: इस कारण राजा दक्ष को लगाया गया बकरे का सिर

HighLights

  • हिंदू धर्म में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है।
  • शिव पूजन से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • शिव जी की पूजा से सभी परेशानियों का अंत होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी महिमा का गुणगान वेदों में पढ़ने को मिलता है। एक समय की बात है राजा दक्ष ने शिव जी का अपमान करने के लिए एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया है। उस यज्ञ में उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि वे उन्हें नहीं पसंद करते थे। शिव की महिमा से अंजान दक्ष ने यह कदम उठाया था। हालांकि न बुलाने के बाद देवी सती अपने पिता यानी दक्ष प्रजापति के इस अनुष्ठान में पहुंच गई, और दक्ष द्वारा शिव जी का अपमान होने पर उन्होंने उसी यज्ञ में खुदको आत्मदाह कर लिया।

इसके बाद शिव जी ने क्रोध में आकर राजा दक्ष का सिर काट दिया। हालांकि बाद में देवताओं के अनुरोध करने पर उन्होंने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उनके शरीर पर बकरे का सिर लगा दिया।

आखिर दक्ष प्रजापति को भोलेनाथ ने क्यों लगाया बकरे का सिर?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर ने प्रार्थना करने पर राजा दक्ष के लिए बकरे का सिर मंगाया, इसपर ब्रह्मा जी ने सवाल किया कि आखिर बकरे का सिर ही क्यों? हाथी, शेर, या किसी अन्य प्राणी का क्यों नहीं ? इसका जवाब देते हुए शिव जी ने कहा कि नन्दीश्वर ने दक्ष को यह श्राप दिया था कि अगले जन्म में वह बकरा बनेगा। इसलिए उन्होंने बकरे का सिर मंगाया और दक्ष के शरीर में जोड़कर उसे जीवित कर दिया।

इसके बाद दक्ष को अपनी गलती का एहसास हुआ और उनका घमंड हमेशा - हमेशा के लिए समाप्त हो गया। फिर उन्होंने देवों के देव महादेव से क्षमायाचना की।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

chat bot
आपका साथी