Navgrah Mantra Jaap Vidhi: कब और कैसे करें नवग्रह मंत्रों का जाप, जानें क्या हो सकते हैं लाभ

Navgrah Mantra Jaap Vidhi ज्योतिष में नौ ग्रह बताएं गए हैं जिनकी चाल का सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। किसी व्यक्ति की कुंडली को देखकर ग्रहों की स्थिति का विचार किया जाता है। कुंडली में ग्रह कमजोर होते हैं तो व्यक्ति को बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 11:30 AM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 12:51 PM (IST)
Navgrah Mantra Jaap Vidhi: कब और कैसे करें नवग्रह मंत्रों का जाप, जानें क्या हो सकते हैं लाभ
सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा माना जाता है।

 Navgrah Mantra Jaap Vidhi: ज्योतिष विज्ञान में नौ ग्रह बताएं गए हैं, जिनकी चाल का सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। किसी व्यक्ति की कुंडली को देखकर ग्रहों की स्थिति का विचार किया जाता है। ज्योतिषविद अनीष व्यास के अनुसार जन्मपत्री (कुंडली) में जब ग्रह कमजोर होते हैं तो व्यक्ति को उससे संबंधित बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं जब ग्रह मजबूत होते हैं तो जातकों को उसका प्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है। हालांकि ग्रहों को मजबूत बनाने के लिए उपाय भी बताए गए हैं और इनमें सबसे ज्यादा कारगर उपाय हैं ग्रहों से जुड़े मंत्रों का जाप।

1. सूर्य ग्रह

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा माना जाता है। जीवन में मान-सम्मान, नौकरी और समृद्धिशाली जीवन जीने के लिए सूर्य देव की कृपा जरूरी होती है और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

सूर्य बीज मंत्र - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।

विधि - मंत्र को रविवार के प्रात: काल के समय स्नान ध्यान के बाद 108 बार जपें।

2. चंद्र ग्रह

कुंडली में चंद्र दोष होने से कलह, मानसिक विकार, माता-पिता की बीमारी, दुर्बलता, धन की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। कुंडली में चंद्र को मजबूत बनाने के लिए चंद्र ग्रह के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

चंद्र बीज मंत्र - ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।

विधि - मंत्र को सोमवार के दिन सायं काल में शुद्ध होकर 108 बार जपें।

3. मंगल ग्रह

मंगल साहस और पराक्रम का कारक ग्रह है। कुंडली में मंगल के कमजोर होने पर उसके साहस और ऊर्जा में निरंतर कमी रहती है। मंगल को मजबूत करने के लिए मंगल ग्रह के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

मंगल बीज मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।

विधि - इस मंत्र को मंगलवार के दिन प्रातः स्नान ध्यान के बाद 108 बार जपें।

4. बुध ग्रह

जीवन में तरक्की और प्रसिद्धि पाने के लिए कुंडली में बुध का मजबूत होना आवश्यक है। बौद्धिक नजरिए से सबसे प्रबल ग्रह होता है। कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए बुध ग्रह के बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

बुध बीज मंत्र - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।

विधि - मंत्र का 108 बार जाप करें।

5. बृहस्पति ग्रह

वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए। कुंडली में बृहस्पति के शुभ प्रभाव से धन लाभ, सुख-सुविधा, सौभाग्य, लंबी आयु आदि मिलता है। कुंडली में देवगुरु बृहस्पति की मजबूती के लिए जातकों को गुरु बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

गुरु बीज मंत्र - ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

विधि - नित्य संध्याकाल में 108 बार जपें।

6. शुक्र ग्रह

कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने पर सभी तरह के ऐशो-आराम की सुविधा मिलती है और इसे मजबूत करने के लिए जातकों को शुक्र बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

शुक्र बीज मंत्र - ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।

विधि - शुक्रवार के दिन प्रातः काल के समय स्नान ध्यान करने के बाद मंत्र को 108 बार जपें।

7. शनि ग्रह

ज्योतिष में शनि देव को कर्मफलदाता के नाम से जाना जाता है। यदि कुंडली में शनि ग्रह भारी होता है तो जिंदगी में परेशानियां बनी रहती हैं। इन परेशानियों को दूर करने के लिए शनि बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

शनि बीज मंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

विधि - शनिवार के दिन संध्याकाल में मंत्र को 108 बार जपें।

8. राहु ग्रह

राहु एक छाया ग्रह है। तनाव को कम करने के लिए राहु मंत्र का जप करना चाहिए। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिलती है। राहु को मजबूत करने के लिए राहु बीज मंत्र का जप करना चाहिए।

राहु बीज मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

विधि - इस मंत्र का नित्य रात्रि के समय 108 बार जाप करें।

9. केतु ग्रह

केतु एक छाया ग्रह ग्रह है, जिसका अपना कोई वास्तविक रूप नहीं है। यदि कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर होती है तो यह जिंदगी को बदतर बना देता है। जीवन में कलह बना रहता है। ऐसे में कलह से बचने के लिए इस केतु बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

केतु बीज मंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

विधि - मंत्र का रात्रि के समय 108 बार जाप करें।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''

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