Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें बप्पा को प्रसन्न, घर में होगा मां लक्ष्मी का वास

विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikata Sankashti Chaturthi 2024) का दिन बहुत शुभ होता है। संकष्टी का अर्थ है समस्याओं से मुक्ति। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। इस दिन गणेश स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी माना गया है तो आइए यहां पढ़ते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Publish:Fri, 26 Apr 2024 01:24 PM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2024 01:24 PM (IST)
Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें बप्पा को प्रसन्न, घर में होगा मां लक्ष्मी का वास
Vikata Sankashti Chaturthi 2024: संकटनाशन गणेश स्तोत्र

HighLights

  • विकट संकष्टी चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व है।
  • इस बार यह व्रत 27 अप्रैल शनिवार के दिन रखा जाएगा।
  • इस व्रत को रखने से गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vikata Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले बप्पा की पूजा की जाती है। इन्हें अन्य देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है। यही वजह है कि इस व्रत का इतना ज्यादा महत्व है।

इस बार यह व्रत 27 अप्रैल, 2024 शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन गणेश स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी माना गया है, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।संकटनाशन गणेश स्तोत्र।।

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ।।

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ।।

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ।।

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ।।

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।

इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ।।

।।गणेश जी आरती।।

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

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