Veda Purana Gyan: केवल भगवान विष्णु के नाम के आगे ही क्यों लगाया जाता है 'श्री', यहां जानिए कारण
Veda Purana Gyan हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के सभी रूपों की पूजा श्रद्धाभाव से की जाती है। वेदों उन्हें सृष्टि का पालनहार कहा गया है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि केवल उनके नाम के आगे ही श्री क्यों लगाया जाता है। आइए जानते हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Veda Purana Gyan: सनातन धर्म में अनेकों वेद-पुराण मौजूद हैं, जिनमें सभी देवी-देवताओं के विषय में विस्तार से बताया गया है। इन सबमें भगवान विष्णु और उनके सभी स्वरूपों का उल्लेख कई बार किया गया है। साथ इनमें भगवान विष्णु के सभी कथा और उद्देश्य के विषय में भी बताया है। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि केवल भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों के नाम के आगे ही 'श्री' का प्रयोग किया जाता है। जैसे श्रीहरि, श्री राम, श्री कृष्ण इत्यादि। ऐसा क्यों? 'श्री' का प्रयोग अन्य देवताओं के नाम के आगे क्यों अधिकतर समय प्रयोग नहीं किया जाता है? ऐसा भी नहीं है कि 'श्री' का प्रयोग करके केवल भगवान विष्णु को ही सम्मान दिया जाता है। बल्कि वेद-पुराणों में इसका कारण कुछ और दिया गया है। आइए जानते हैं-
क्या है 'श्री' का अर्थ? (Meaning of Shri)
वर्तमान समय में 'श्री' शब्द को सम्मान सूचक शब्द के रूप में देखा जाता है, यही कारण है कि आज इनका प्रयोग घर और परिवार के बड़े या समाज में सम्मानित व्यक्ति के लिए किया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल भगवान विष्णु के नाम के आगे ही 'श्री' लगाने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीहरि के आगे लगने वाले 'श्री' का अर्थ 'माता लक्ष्मी' है। माता लक्ष्मी के अनेक नामों में से 'श्री' भी उनका एक नाम है। साथ ही इस शब्द एक अर्थ 'ऐश्वर्य प्रदान करने वाली' भी है। जैसा कि हम जानते हैं माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं, इसलिए श्रीहरि कहकर हम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को एक-रूप में सम्मान देते हैं।
श्री राम और श्री कृष्ण के नाम क्यों प्रयोग किया जाता है 'श्री'
अब आप सोच रहे होंगे कि भगवान विष्णु के नाम के आगे श्री शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि माता लक्ष्मी उनकी पत्नी है। लेकिन प्रभु राम और भगवान कृष्ण के नाम क्यों 'श्री' शब्द का प्रयोग किस कारण होता है? तो आपको बता दें कि धार्मिक ग्रंथों में भगवान राम और कृष्ण को विष्णु जी का ही अवतार बताया गया है। इसलिए उन्हें सम्बोधित करने से पहले श्री का प्रयोग किया जाता है। वहीं मुख्य करना यह है कि वेदों में श्री राम की पत्नी माता सीता और श्री कृष्ण की पत्नी माता रुक्मिणी को भी लक्ष्मी जी का ही अवतार बताया गया है। इसलिए उन्हें एकाकार करते हुए 'श्री राम' और 'श्री कृष्ण' का प्रयोग किया जाता है।
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