तू ही मेरा कर्मा तू ही मेरा धर्मा

1986 में रिलीज ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के अभिनय से सजी फिल्म कर्मा का गाना फिजां में गूंज रहा है। यकायक विचार कौंधता है कि इस सांस्कृतिकऔर धार्मिक महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति का गाना क्यों बज रहा है?

By Edited By: Publish:Sat, 26 Jan 2013 11:19 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jan 2013 11:19 AM (IST)
तू ही मेरा कर्मा तू ही मेरा धर्मा

कुंभनगर। 1986 में रिलीज ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के अभिनय से सजी फिल्म कर्मा का गाना फिजां में गूंज रहा है। यकायक विचार कौंधता है कि इस सांस्कृतिकऔर धार्मिक महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति का गाना क्यों बज रहा है? अपेक्षाकृत कम आयु का तुरंत मुझे लाभ मिलता दिखा। दिमाग ट्यूबलाइट नहीं बनने पाया। तुरंत मनमस्तिष्क से जवाब आया कि अरे यह तो 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस का असर है। स्वभाव और पेशागत गुणों के चलते इस गाने का निहितार्थ समझने की कोशिश शुरू होती है।

खुद से ही व्याख्यायित करता हूं कि भले ही गाने में देश को ध्यान में रखकर पंक्तियां गढ़ी गई हों, लेकिन महाकुंभ के अर्थो में यह साकार हो रही हैं। तीर्थराज प्रयाग की रेतीली जमीन पर बसे कुंभनगरी में गंगा स्नान का पुण्य कमाने आए सभी श्रद्धालुओं के लिए भी यह आयोजन उनका सबसे बड़ा कर्म और धर्म बन चुका है। चौकसी अधिक है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिसकर्मियों की अति सतर्कता मेरे काम में खलल डाल रही है। सेक्टर नौ स्थित मुरारी बापू के आश्रम जाना है। सत्संग सुनने नहीं बल्कि अपने कर्म को पूरा करने के लिए। वहां पर मौजूद एक वैज्ञानिक से बातचीत जो करनी है। हमारे वाहन को पुलिस वाले चकरघिन्नी बनाए हुए हैं। हमारा चालक लगातार सुरक्षाकर्मियों को भला बुरा कहते हुए बुरा सा मुंह बनाए जा रहा है। विचित्र नगरी में सबकुछ विचित्र लग रहा है। पहुंचने की जल्दी है। चालक को सुरक्षाकर्मियों द्वारा बताए रास्ते से चलने की सलाह देता हूं। अतिउत्साही चालक महोदय अपनी ड्राइविंग स्किल का मुजायरा करने में बिलकुल भी परहेज नहीं कर रहे हैं। मुड़ते समय सड़क के बीचोबीच गाड़ी फंसा देते हैं। खैर वहां से किसी तरह निकलते हैं। पीपे के पुल से आगे बढ़ते हैं सुरक्षा घेरा तगड़ा है। अरे.अरे रुको, कहां घुसे चले जा रहे हो? जानते नहीं हो कि उधर नो इंट्री है। मीडिया से होने की बात बताने पर उसकी उग्र आवाज सुरीली हुई। हम अपने रास्ते बढ़े चले जा रहे हैं। मंजिल मिलने तक चैन नहीं.

मंजिल मुरारी बापू का शिविर। पहुंच गए और अपना काम भी पूरा हुआ। वाहन पार्किग की समस्या। कथा हो रही है। भक्तों का हुजूम उमड़ा हुआ है। कुछ पैदल तो कुछ वाहन से। पंडाल के सामने गाडि़यों का रेला। पटरी पर सामान बेचते दुकानदारों ने स्थिति को और विकराल बना रखा है। काम खत्म लेकिन पैसा हजम नहीं, वापसी शुरू। आखिर इसी पैसे के लिए तो आदमी क्या कुछ करने पर नहीं आमादा हो जाता है। नेपाल से आए स्कूली बच्चों की लंबी लाइनें सड़क किनारे लगी हुई हैं। जितने कौतूहल से वे मेले को देख रहे हैं उससे कहीं ज्यादा उत्सुकता से भीड़ उन्हें देख रही हैं। जिन ढूंढ़ा तिन पाइयां लेकिन गहरे पानी पैठि नहीं, सड़क किनारे ठाढि़। आगे बढ़ते हैं। रेलवे पुल के नीचे भारी भीड़ जमा है। भीड़ तो सब जगह है लेकिन यहां लोगों की सघनता कुछ अधिक है। नजदीक पहुंचने पर दिखता है कि दो बांसों के बीच बंधी रस्सियों पर एक छोटी बच्ची संतुलन बनाए चल रही है। सिर पर एक के ऊपर एक करके कई कटोरी टाइप चीज रखे हुए है। गजब की साधना। अंतरात्मा से निकलती आवाज

त्रिवेणी तट पर गूंजा वंदे मातरम्-

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सेना के जवानों द्वारा ब्रास बैंड पर की गई मनमोहक प्रस्तुतियों से सरस्वती घाट गूंज उठा।

कार्यक्रम की शुरूआत गंगा सेवा निधि वाराणसी द्वारा गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की महाआरती से की गई। कुछ देर के लिए तो ऐसा लगा जैसे साक्षात मां गंगा आशीर्वाद देने को आ गई हों। आरती के बाद शुरू बैंड कनसर्ट में सेना के जवानों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां करके लोगों को झूमने को मजबूर कर दिया। बैंड पर वंदे मातरम् की धुन बजते ही माहौल में देशभक्ति का जज्बा भर गया, एक अजब सी खुशी छा गई। जैसे-जैसे गीत की धुनें बढ़ती गई वैसे-वैसे लोग स्वर में स्वर मिलाने लगे। थोड़ी देर के लिए ऐसा लगा मानो नदी की धाराएं भी गीत में पिरोए गए देशभक्ति के जज्बे को नमन करने के लिए रूक सी गई। देशभक्ति का जज्बा अभी दिलो दिमाग से उतरने ही वाला था कि जवानों ने सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा.। गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। देशभक्ति के तरानों के साथ जवानों ने फिल्मी गीत भी प्रस्तुत किए। ये रात भीगी-भीगी गीत की धुन ने तो समा ही बांध दिया। सेना का कार्यक्त्रम हो और वीर जवानों की जीवनचर्या का परिचायक पाइपर और ड्रमर की प्रस्तुति न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। सिख रेजिमेंट के जवानों ने मिलिट्री में सुबह की शुरूआत के समय बजने वाली धुन की प्रस्तुति की। बैंड प्रस्तुतियों का यह दौर 31 जनवरी तक प्रतिदिन चलेगा। कार्यक्त्रम के मुख्य अतिथि सब एरिया कमांडर मेजर जनरल विश्र्वंभर दयाल और एअर मार्शल जसविंदर चावान के अलावा आर्मी और नौसेना के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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