मां चिंतपूर्णी में धर्मशालाओं की जांच के लिए बनी कमेटी

धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी स्थित सभी धर्मशालाओं व सरायों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। चिंतपूर्णी मंदिर आयुक्त एवं साडा के चेयरमैन अभिषेक जैन ने अम्ब के एसडीएम की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 24 Apr 2015 01:04 PM (IST) Updated:Fri, 24 Apr 2015 01:08 PM (IST)
मां चिंतपूर्णी में धर्मशालाओं की जांच के लिए बनी कमेटी

ऊना। धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी स्थित सभी धर्मशालाओं व सरायों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। चिंतपूर्णी मंदिर आयुक्त एवं साडा के चेयरमैन अभिषेक जैन ने अम्ब के एसडीएम की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की है।

समिति चिंतपुर्णी क्षेत्र में निॢमत सभी धर्मशालाओं व सरायों का निरीक्षण व दस्तावेज देख कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को देगी। समिति देखेगी कि धर्मशालाओं व सरायों द्वारा राजस्व नियमों व नगर एवं ग्राम योजना अधिनियमों की अनदेखी तो नहीं की गई है। समिति में सहायक नगर नियोजन अधिकारी, लोक निर्माण, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य, विद्युत व वन विभाग के अधिकारियों के अलावा संबंधित ग्राम पंचायत प्रधान को शामिल किया गया है। जिला प्रशासन को चिंतपुर्णी में सरायों व धर्मशालाओं के निर्माण में राजस्व, धारा 118 व साडा टाउन प्लानिंग नियमों की अवहेलना की काफी समय से शिकायतें मिल रही थीं। स्थानीय संगठनों ने भी इस संबंध में शिकायत की थी। हाल ही में संपन्न विधानसभा सत्र में इन सरायों व धर्मशालाओं को लेकर प्रश्न रखा गया था। हिमाचल प्रदेश टैनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 की धारा 118 के तहत गैर हिमाचलियों को प्रदेश में जमीन खरीदने की अनुमति लेनी पड़ती है। विधानसभा में पूछा गया था कि चिंतपुर्णी में कितनी धर्मशालाओं व सरायों ने इस संबंध में अनुमति ली है।

चिंतपूर्णी क्षेत्र में वर्ष 2007 से साडा भी लागू है ताकि वहां भवन निर्माण सुनियोजित तरीके से हो सके। साडा के तहत निर्माण के लिए अनुमति लिया जाना आवश्यक है। जिला प्रशासन को शिकायतें मिली थीं कि चिंतपुर्णी क्षेत्र में कुछ धर्मशालाएं व्यावसायिक रूप से कार्य कर रही हैं। चिंतपूर्णी क्षेत्र में कई धर्मशालाएं प्रदेश के बाहर के लोगों के नाम पर पंजीकृत हैं। हाल ही में साडा की बैठक में भी यह मामला उठा था और उपायुक्त ने एसडीएम अम्ब की अध्यक्षता में समिति गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

दस धर्मशालाओं के मालिकों ने ली धारा 118 के तहत अनुमति- राजस्व अभिलेखों व अम्ब के एसडीएम से मिली जानकारी के अनुसार चिंतपूर्णी क्षेत्र में केवल 10 धर्मशालाओं के मालिकों ने धारा 118 के तहत अनुमति प्राप्त की है। चिंतपूर्णी क्षेत्र में वर्ष 2007 में साडा लगने से पहले भवन निर्माण के लिए कोई अनुमति हासिल करना जरूरी नहीं था। क्षेत्र में 2007 से पहले निॢमत 27 सरायों के मालिकों ने खुद के संबंध में जानकारी दी थी। 2007 के बाद सात धर्मशालाओं के मालिकों ने निर्माण के लिए साडा के तहत अनुमति हासिल की थी। साडा लगने से पहले व साडा लगने के बाद रिकॉर्ड के मुताबिक चिंतपूर्णी में 34 धर्मशालाएं हैं। हकीकत में चिंतपूर्णी में इससे कहीं अधिक धर्मशालाएं बनी हैं। अब कमेटी हर धर्मशाला की सूची तैयार कर निरीक्षण करेगी कि क्या धारा 118 के तहत अनुमति ली गई थी या नहीं।

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