शंकराचार्य ने अड़गड़ानंद को ललकारा आओ और शास्त्रार्थ करो
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यथार्थ गीता पुस्तक की रचना करने वाले स्वामी अड़गड़ानंद को भरी धर्मसभा में ललकार लगाई।
उज्जैन। सांई पूजा का विरोध करने वाले जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यथार्थ गीता पुस्तक की रचना करने वाले स्वामी अड़गड़ानंद को भरी धर्मसभा में ललकार लगाई।
उन्होंने कहा कि वे शुक्रवार को उनके मंच पर आएं और शास्त्रार्थ कर यह सिद्ध करें कि उन्होंने जो लिखा है वो सही है। अगर नहीं तो उनके शिष्य ने यथार्थ गीता का जो खंडन किया है, उसका खंडन करके बताएं। इस्कॉन की गीता पर भी उन्होंने अंगुली उठाई है और कहा है कि इस पर भी समय आने पर कलम चलेगी।
रुद्रसागर स्थित शंकराचार्य शिविर में आयोजित हुई धर्मसभा में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, गीता हमारा धर्मग्रंथ है, धर्मप्राण है। अगर इसमें ही त्रुटि होगी तो बच्चों को क्या सिखाएंगे। भरे मंच से उन्होंने कहा, यथार्थ गीता में कुछ त्रुटियां हैं। उनके शिष्य ब्रह्मचारी निर्विकल्पस्वरूप ने इसकी समीक्षा कर प्रामाणिक खंडन प्रस्तुत किए हैं।
साधु-संत रहे मौजूद
धर्मसभा में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री सहित अनेक साधु-संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभा को संबोधित करते हुए कहा गया कि अड़गड़ानंद स्वयं शुक्रवार शाम को उनकी सभा में आकर शास्त्रार्थ कर यह सिद्ध करें कि उन्होंने जो लिखा है वो सही है। सभा का संचालन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया।
तीर्थनगरी में मांस-मदिरा पर लगे रोक
धर्मसभा में एक प्रस्ताव यह भी पारित किया गया है कि उज्जैन सहित देश की सभी तीर्थ नगरियों में मांस-मदिरा के विक्रय पर रोक लगे। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। गौवंश की हत्या पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है।
नेता आपकी पीड़ा को क्या जानें
शंकराचार्य ने कहा, आप लोग इतनी धूप की परवाह किए बिना यहां इसलिए आए हो ताकि शिप्रा नदी में स्नान हो सके। शिप्रा में स्नान कर आप पवित्र हो जाओ और फिर कोई पाप न करो। आपकी इस पीड़ा को नेता क्या समझें। कुंभ में पूरा भारत एकजुट हो गया है।