Sawan 2020: भगवान शिव को प्रिय है रुद्राक्ष, जानें उत्पत्ति की कथा और उसके प्रकार

Rudraksha Utpatti Katha आदि शिव के पवित्र महीने सावन का प्रारंभ हो चुका है। भगवान शिव को रुद्राक्ष प्रिय है। इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ये कितने प्रकार का होता है इसके बारे में जानन

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 03:56 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 03:58 PM (IST)
Sawan 2020: भगवान शिव को प्रिय है रुद्राक्ष, जानें उत्पत्ति की कथा और उसके प्रकार
Sawan 2020: भगवान शिव को प्रिय है रुद्राक्ष, जानें उत्पत्ति की कथा और उसके प्रकार

Rudraksha Utpatti Katha: आदि शिव के पवित्र महीने सावन का प्रारंभ हो चुका है। भगवान शिव को रुद्राक्ष प्रिय है। इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, ये कितने प्रकार का होता है, इसके बारे में जानना चाहिए। आइये जानते हैं रुद्राक्ष की कथा और उसके स्वरूपों के बारे में शिव ने पार्वती जी से क्या कहा।

रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा

एक बार शिव ने जब एक हजार वर्ष की साधना की, उसके पश्चात समाधि से जाग्रत होने पर जब उन्होंने बाहरी जगत को देखा तो उनके नेत्रों से एक जल बिंदु पृथ्वी पर जा गिरा। उसी बिंदु से एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई, जिसे रुद्राक्ष कहा गया। भगवान शिव की इच्छा से वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैल गया और मानव जाति के लिए आज भी एक आशीर्वाद है।

रुद्राक्ष शांतिदायक, मुक्तिदायक, पुण्यवर्धक और कल्याणकारी है। शिव ने पार्वती जी को इसकी अद्भुत शक्तियों के बारे में बताया और कहा कि जो मनुष्य रुद्राक्ष धारण करता है वो शिव प्रिय होता है तथा उसकी समस्त मनोकामना पूरी होती हैं।

कौन धारण कर सकता है रुद्राक्ष

ज्योतिषाचार्य साक्षी शर्मा के अनुसार, यूं तो अलग-अलग कुंडली में ग्रहों के हिसाब से उपाय किए जाते है परंतु रुद्राक्ष को आप बिना कुंडली देखे भी धारण कर सकते हैं। प्रयोजन के हिसाब से रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।

सर्वसिद्ध रुद्राक्ष होता है ग्यारहमुखी

वैसे तो कई तरह के रुद्राक्ष प्रचलित हैं लेकिन सबसे ज्यादा ग्यारहमुखी रुद्राक्ष प्रयोग में लाया जाता है। यदि आप को अपने ग्रहों की जानकारी नहीं है तो भी आप सर्वार्थ सिद्धि के लिए ग्यारहमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।

रुद्राक्ष के प्रकार

एक रेखा वाला रुद्राक्ष एक मुखी है, जो शिवरूप है।

दो मुखी रुद्राक्ष शिव-पार्वती रूप है।

तीन मुखवाला रुद्राक्ष, त्रिदेवरूप है।

चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मरूप है।

पंचमुखी रुद्राक्ष पंचमुख शिवरूप है।

छः मुखी रुद्राक्ष स्वामिकार्तिक रूप है।

सात मुखी रुद्राक्ष कामदेवरूप है।

नौ मुखी रुद्राक्ष कपिल मुनि रूप तथा नव दुर्गारूप है।  

दशमुखी रुद्राक्ष विष्णु रूप है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एकादश रुद्ररूप है।  

बारह मुखी रुद्राक्ष द्वादश आदित्य रूप है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वरूप है।  

चौदह मुखी परमऋषि रूप है।  

छोटे रुद्राक्ष अच्छे माने जाते हैं। यदि रुद्राक्ष में स्वयं ही छिद्र हो तो उत्तम समझ जाता है। किसी प्रामाणिक संस्थान से आप असली और उत्तम रुद्राक्ष खरीद सकते हैं। सावन में इन्हें धारण करना उत्तम माना जाता है।

chat bot
आपका साथी