Phulera Dooj 2024: मार्च में कब मनाई जाएगी फुलेरा दूज? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में फुलेरा दूज का त्योहार विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। इस विशेष दिन पर भगवान कृष्ण और राधा रानी जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज को बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल फुलेरा दूज का पर्व कब मनाया जाएगा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Tue, 27 Feb 2024 10:34 AM (IST) Updated:Tue, 27 Feb 2024 10:34 AM (IST)
Phulera Dooj 2024: मार्च में कब मनाई जाएगी फुलेरा दूज? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Phulera Dooj 2024 कब है फुलेरा दूज?

HighLights

  • फाल्गुन शुक्ल द्वितीया पर मनाया जाता है फुलेरा दूज का पर्व।
  • फुलेरा दूज के दिन से मथुरा में होती है होली की शुरुआत।
  • फुलेरा दूज पर की जाती है राधा-कृष्ण की पूजा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Phulera Dooj 2024 Date: हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार, फुलेरा दूज, फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है। फुलेरा दूज के दिन से ही मथुरा में होली की शुरुआत मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने फुलेरा दूज के दिन से ही फूलों की होली खेलने की शुरुआत की थी। तभी से हर साल मथुरा में फुलेरा दूज का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस पर्व की धूम ब्रज क्षेत्र में, विशेषतः मथुरा-वृन्दावन में अधिक देखने को मिलती है।

फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से हो रही है। इसका समापन अगले दिन 12 मार्च 2024 को सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए फुलेरा दूज 12 मार्च को मनाई जाएगी। इस दौरान राधा-कृष्ण की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

राधा-कृष्ण की पूजा का मुहूर्त - 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजे तक

यह भी पढ़ें - Bhanu Saptami 2024: भानु सप्तमी के दिन ऐसे करें सूर्य देव की पूजा, घर में होगा खुशियों का आगमन

फुलेरा दूज का महत्व

फुलेरा दूज न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखता है, बल्कि ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्व है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, फुलेरा दूज का दिन समस्त प्रकार के दोषों से मुक्त होता है, यही कारण है कि इस दिन को सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए विशेषकर विवाह आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए इसे अभुज मुहूर्त भी कहा जाता है। इस अवसर पर कृष्ण मन्दिरों में विशेष झांकी अथवा दर्शन आयोजित किए जाते हैं, और भक्तों उनके दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

chat bot
आपका साथी