Pauranik Kathayen: हार के रास्ते खोल देता है क्रोध, पढ़ें हार-जीत की यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen प्राचीन काल में एक बार आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ लगातार सोलह दिन तक चला। इसमें निर्णायक की भूमिक मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती निभा रही थी। अभी तक हार-जीत का फैसला नहीं हुआ था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 11:23 AM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 03:00 PM (IST)
Pauranik Kathayen: हार के रास्ते खोल देता है क्रोध, पढ़ें हार-जीत की यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen: हार के रास्ते खोल देता है क्रोध, पढ़ें हार-जीत की यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: प्राचीन काल में एक बार आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ लगातार सोलह दिन तक चला। इसमें निर्णायक की भूमिक मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती निभा रही थी। अभी तक हार-जीत का फैसला नहीं हुआ था। इसी बीच देवी भारती को किसी जरूरी काम के चलते बाहर जाना पड़ा। देवी भारती ने जाने से पहले आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के गले में एक-एक फूल माला डाल दी। साथ ही कहा कि मेरी अनुपस्थिति में ये दोनों मालाएं हार और जीत का फैसला करेंगी। इतना कहकर देवी भारत चली गईं। लेकिन प्रक्रिया पहले की तरह चलती रही।

कुछ देर बाद अपना काम पूरा कर देवी भारती वापस आईं और शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा। उन्हें देखते-देखते ही उन्होंने अपना निर्णय सुना दिया। देवी भारती के निर्णय से आदि शंकराचार्य विजयी घोषित हुए। इससे देवी भारती के पति मंडन मिश्र की हार हुई। यह देख सभी लोग हैरान रह गए। सभी कहने लगे कि बिना किसी वजह के इसने अपने पति को पराजित करार दे दिया।

देवी भारती से एक विद्वान ने कहा कि हे देवी! आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीं तो आपने वापस लौटकर यह फैसला कैसे दे दिया। इस पर देवी भारती ने मुस्कुराकर जवाब दिया जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है तो वह क्रोधित होने लगता है। जब मैं वापस आई तो मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध की ताप से सूख चुकी थी। जबकि शंकराचार्य जी की माला पहले की ही तरह थी। इससे यह साफ होता है कि इस शास्त्रार्थ में शंकराचार्य की विजय हुई। देवी भारती के फैसले का कारण जान सभी लोग उनकी काफी प्रशंसा करने लगे।

इस कथा से यह साबित होता है मनुष्य की एक अवस्था क्रोध है जो जीत के पास पहुंचकर भी हार के रास्ते खोल देता है। क्रोध रिश्तों में दरार का कारण भी बनता है।  

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