नवरात्र आज से, जानिए कब और कैसे शुरू करें पूजन

शक्ति की देवी मां दुर्गा का नौ दिनों तक चलने वाला पूजन शनिवार, पांच अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के इस पूजन के लिए कौन सा समय शुभ है, किस समय में घट स्थापना करना सही है और पूजा विधि क्या हो, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

By Edited By: Publish:Fri, 04 Oct 2013 04:39 PM (IST) Updated:Sat, 05 Oct 2013 05:59 AM (IST)
नवरात्र आज से, जानिए कब और कैसे शुरू करें पूजन

नई दिल्ली। शक्ति की देवी मां दुर्गा का नौ दिनों तक चलने वाला पूजन शनिवार, पांच अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के इस पूजन के लिए कौन सा समय शुभ है, किस समय में घट स्थापना करना सही है और पूजा विधि क्या हो, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

घट स्थापना- घट स्थापना का समय 05 अक्टूबर 2013, शनिवार को अश्रि्वन शुक्ल प्रतिपदा के दिन प्रात:काल 08 बजकर 05 मिनट से 09 बजे तक रहेगा। इसके पश्चात दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक के मध्य में भी घट स्थापना की जा सकती है।

1. पहला नवरात्र- प्रथमा तिथि, 5 अक्टूबर 2013, दिन शनिवार, 3:35 तक।

2. दूसरा नवरात्र- द्वितीया तिथि, 6 अक्टूबर 2013 दिन रविवार, 3:17 तक।

3. तीसरा नवरात्र- तृतीया तिथि, 7 अक्टूबर 2013, दिन सोमवार, 1:58 तक।

4. चौथा नवरात्र- चतुर्थी तिथि, 8 अक्टूबर 2013 , मंगलवार, 12:05 तक।

5. पांचवां नवरात्र- पंचमी तिथि, 9 अक्टूबर 2013, बुधवार, 10:01 तक।

6. छठा नवरात्र- षष्ठी तिथि, 10 अक्टूबर 2013, गुरुवार, 07:51 तक।

7. सातवां नवरात्र- सप्तमी तिथि, 11 अक्टूबर 2013, शुक्रवार, 05:39 तक।

8. आठवां नवरात्र, अष्टमी तिथि, 12 अक्टूबर 2013, शनिवार, 03:27 तक।

9. नौवां नवरात्र- नवमी तिथि, 13 अक्टूबर 2013, रविवार, 01:18 तक।

10. दशहरा- दशमी तिथि, 13 अक्टूबर 2013, रविवार, 01:18 से आरंभ और 14 अक्टूबर को प्रात:काल 11:16 तक

देवी की अराधना इंस मंत्र से करें-

देवी आराधना मंत्र -

1. शैलपुत्री- वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रा‌र्द्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

2. ब्रह्मचारिणी- दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

3. चंद्रघंटा- पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

4. कूष्माण्डा- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

5. स्कंदमाता- सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

6. कात्यायनी- चज्जद्रहासो“वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

7. कालरात्रि- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

8. महागौरी- श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

9. सिद्धिदा˜“ी- आप“िसद्धगन्धर्वयक्षाघरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

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