Motivational Story: ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जाता हर युद्ध, अनुभव और आत्मज्ञान भी होना है जरूरी

Motivational Story कहा जाता है कि हर युद्ध ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जा सकता है। इसी सीख पर आधारित यह कहानी हम आपको सुना रहे हैं। एक नगर था जहां एक महान तलवारबाज रहता था। उसके जैसा तलवारबाज पूरे नगर में नहीं था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 11:00 AM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 12:55 PM (IST)
Motivational Story: ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जाता हर युद्ध, अनुभव और आत्मज्ञान भी होना है जरूरी
Motivational Story: ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जाता हर युद्ध, अनुभव और आत्मज्ञान भी होना है जरूरी

Motivational Story: कहा जाता है कि हर युद्ध ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जा सकता है। इसी सीख पर आधारित यह कहानी हम आपको सुना रहे हैं। एक नगर था जहां एक महान तलवारबाज रहता था। उसके जैसा तलवारबाज पूरे नगर में नहीं था। पूरे राज्य में उसकी ख्याती फैली हुआ थी। अपने इसी हुनर के दम पर उसने अपने राजा को कई युद्धों में जीत दिलवाई थी। इसी के चलते उसका मान-सम्मान भी बहुत था।

कुछ समय बीता और तलवारबाज बूढ़ा हो गया। वह यह बिल्कुल नहीं चाहता था कि उसकी कल उसके साथ दुनिया से चली जाए। ऐसे में उसने पूरे राज्य में यह ऐलान करा दिया कि जो तलवारबाजी सीखना चाहता है वह उसके पास आकर सीख सकता है। कई युवक उसके पास आए और उसका हुनर सीखने लगे। वह अपनी कला का हर गुर उन्हें सिखाने में जुट गया।

उन सभी शिष्यों में से एक शिष्य बेहद असाधारण था। उसने बहुत जल्दी ही तलवारबाजी के सभी गुर सीख लिए और जल्द ही पूरी कला सीख गया। लेकिन उसे इस बात का घमंड हो गया। वह खुद को अपने गुरू से भी महान समझने लगा। लेकिन उसने अपने गुरू सरीखी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं थी। वह उस प्रतिष्ठा को पाने के लिए कई उपाय सोचने लगा।

एक दिन उसने सोचा कि क्यों न वह अपने गुरू के साथ तलवारबाजी का मुकाबला करे। उसने सोचा कि वह उन्हें पराजित कर देगा और लोग मुझे उनसे महान तलवारबा स्वीकार कर लेंगे। यह सोच उसने अपने बूढ़े गुरू को चुनौती दे दी। गुरू ने चुनौती स्वीकार भी कर ली। 7 दिन के बाद दोनों में मुकाबला होना तय हुआ। पूरे राज्य में इस बात की चर्चा होने लगी। यह मुकाबला देखने के लिए राज्य के राजा भी आए।

उस शिष्य कोज अपनी तलवारबाजी पर बहुत भरोसा था लेकिन दिन गुजरने के साथ-साथ उसका भरोसा कम होने लगा। क्योंकि उसे ऐसा लगा रहा था कि उसके गुरू ने उसे एक न एक विधा नहीं सिखाई होगी। वह अपने गुरू पर नजर रखने लगा जिसेस उसका अभ्यास भी होता रहे और वह और भी कुछ सीख जाए।

उसने एक दिन देखा कि गुरू कहीं जा रहे हैं। शिष्य ने अपने गुरू का पीछा किया। गुरू लोहार के पास पहुंचा और लोहार को 15 फुट लंबी म्यान तैयार करने को कहा। शिष्य को लगा कि उसका गुरू इतनी लंबी तलवार बनवाकर उसका सिर कलम कर देगा। ऐसे में समय बिना व्यर्थ किए उसने 16 फुट लंबी तलवार बनवा ली।

मुकाबले का दिन आ चुका था और दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए थे। मुकाबला शुरू होते ही गुरू ने म्यान से तलवार निकालकर शिष्य की गर्दन पर रख दी। फिर शिष्य ने अपनी 16 फुट लंबी तलवार निकाली लेकिन तलवार लंबी होने की वजह से वह तलवार निकालता ही रह गया। दरअसल, गुरू की तलवार को 15 फुट की ही थी लेकिन एक सामान्य तलवार थी। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हर युद्ध ताकत और बल के सहारे नहीं जीता जाता है। व्यक्ति में आत्मज्ञान और अनुभव भी होना जरूरी होता है। इनके बिना बल भी फीका पड़ जाता है।  

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