महर्षि ने दी विश्व को नई दिशा

गुरु परंपरा के अनुसार समाज को नई दिशा देकर महर्षि महेश योगी ने भारतीय संस्कृति की पताका पूरे विश्‌र्र्व में फहरायी। उनके द्वारा बोया गया ज्ञान का बीज आज वृक्ष का रूप ले चुका है और समूचे विश्‌र्र्व को प्रकृति के नियमों के अनुसार जीने की सीख दे रहा है।

By Edited By: Publish:Sat, 16 Feb 2013 01:26 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2013 01:26 PM (IST)
महर्षि ने दी विश्व को नई दिशा

इलाहाबाद। गुरु परंपरा के अनुसार समाज को नई दिशा देकर महर्षि महेश योगी ने भारतीय संस्कृति की पताका पूरे विश्‌र्र्व में फहरायी। उनके द्वारा बोया गया ज्ञान का बीज आज वृक्ष का रूप ले चुका है और समूचे विश्‌र्र्व को प्रकृति के नियमों के अनुसार जीने की सीख दे रहा है। यह बातें स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने शुक्रवार को महर्षि महेश योगी आश्रम में महर्षि स्मारक के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। उन्होंने कहा कि महर्षि द्वारा प्रदत्त ज्ञान उनके वैदिक विश्‌र्र्व साम्राज्य के जरिए सौ से अधिक देशों तक पहुंच चुका है। महर्षि विश्‌र्र्व वैदिक साम्राज्य के महाराजा राम ने अनुसंधान के जरिए महर्षि के इस ज्ञान को और आगे बढ़ाया। महर्षि के संदेशों और उनके ज्ञान को इसी प्रकार समूचे विश्‌र्र्व में फैलाने की जरूरत है। महाराजा राम का संदेश सुनाते हुए वैदिक साम्राज्य के प्रधानमंत्री डा. बेवन मारिस ने कहा कि महर्षि आज भी हमारे साथ हैं। भले ही वे सशरीर न हों लेकिन हम अपने आसपास उन्हें देख सकते हैं। महर्षि ने देश के पुराने ऋषियों की भांति वैदिक ज्ञान को सम्पूर्णता प्रदान की। इतना ही नहीं महर्षि ने वेदों व उपनिषदों में वर्णित ज्ञान के क्त्रियान्वयन का तरीका विश्‌र्र्व को दिया। वेदों में वर्णित ज्ञान को विज्ञान की कसौटी पर परखते हुए उन्होंने यह साबित किया प्रकृति के नियमों के अनुरूप जीवन जीने में ही भलाई है। उन्होंने जीवन के हर पहलु और समस्या के लिए सरल उपाय सुझाए। इससे पूर्व महर्षि विद्या मंदिर नैनी और कालिंदीपुरम् के छात्रों ने संस्कृत में गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गयी। ब्रंाचारी गिरीश वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महर्षि ने अपने जीवन की सभी उपलब्धियों को गुरु ब्रह्मानंद को ही समर्पित किया। महाराजाधिराज राम ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ स्मारक का लोकार्पण किया। संचालन अरविंद राजपूत ने किया। कार्यक्त्रम में विहिप के संरक्षक अशोक सिंहल, परमार्थ के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, नारायण साई, ब्रह्मचारी नंदकिशोर, अजय प्रकाश श्रीवास्तव, भुवनेश शर्मा, ब्रिगेडियर मेहता आदि मौजूद रहे।

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