Maa Shailputri Janm Katha: कौन हैं मां शैलपुत्री, जानें दुर्गा मां के पहले अवतार के बारे में

Maa Shailputri Janm Katha प्रजापति दक्ष ने एक बार बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन शंकरजी को नहीं बुलाया। यह बात जब सती को पता चली कि उनके पिता अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 17 Oct 2020 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Oct 2020 01:35 PM (IST)
Maa Shailputri Janm Katha: कौन हैं मां शैलपुत्री, जानें दुर्गा मां के पहले अवतार के बारे में
Maa Shailputri Janm Katha: कौन हैं मां शैलपुत्री, जानें दुर्गा मां के पहले अवतार के बारे में

Maa Shailputri Janm Katha: प्रजापति दक्ष ने एक बार बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन शंकरजी को नहीं बुलाया। यह बात जब सती को पता चली कि उनके पिता अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं तो वो वहां जाने के लिए विकल हो उठी। उन्होंने इस बात का जिक्र शंकर जी से किया। उन्होंने इस बात पर कुछ देर विचार किया और कहा कि प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। उन्होंने हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है और बाकी सभी को निमंत्रण दिया है। हमें उन्होंने कोई सूचना भी नहीं भेजी है। ऐसे में वहां हमारा जाना अच्छा नहीं होगी।

लेकिन सती नहीं मानी उन्हें अपने पिता का यज्ञ देखना था। वह अपनी माता और बहनों से मिलना चाहती थीं। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी। जब सती अपने पिता के घर पहुंची तो कोई भी वहां उनसे अच्छे से बात नहीं कर रहा था। सभी लोग उनसे मुंह फेरने लगे। लेकिन उनकी माता ने उन्हें प्यार से गले लगाया। अपने लिए परिजनों का ऐसा व्यवहार देख उन्हें बहुत दुख हुआ। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। यही नहीं, वहां पर चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति भी तिरस्कार का था। प्रजापति दक्ष भी उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन कह रहे थे। यह देख सती को बेहद दुख हुआ और वो क्रोधित हो गईं। उन्हें लगा कि शंकर जी सही कह रहे थे और उन्होंने वहां आकर बड़ी गलती कर दी है।

उनसे शंकर जी का अपमान नहीं देखा गया और उन्होंने अपने रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। इस घटना को जान शंकर जी ने क्रुद्ध होकर अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने अपने आप को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में वो शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुईं। पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं।

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