जगन्नाथजी को वाराणसी में 15 तो मथुरा में 45 दिन की छुट्टी

वाराणसी में अस्सी पर भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रभु को स्नान कराने के लिए आज सुबह से ही भक्तों का तांता लगा है। भक्तजन घड़े या किसी पात्र में गंगा जल भर कर लाते और मंदिर की छत पर विद्यमान कराये गए भगवान उगन्नाथ समेत के साथ उनके भ्राता बलभद्र

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2015 10:43 AM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2015 05:03 PM (IST)
जगन्नाथजी को वाराणसी में 15 तो मथुरा में 45 दिन की छुट्टी

लखनऊ। वाराणसी में अस्सी पर भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रभु को स्नान कराने के लिए आज सुबह से ही भक्तों का तांता लगा है। भक्तजन घड़े या किसी पात्र में गंगा जल भर कर लाते और मंदिर की छत पर विद्यमान कराये गए भगवान उगन्नाथ समेत के साथ उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा को स्नान करा रहे हैं। इसके बाद अधिक स्नान से बीमार जगन्नाथ जी एक पखवारे लिए विश्राम पर चले जाएंगे। हालांकि मथुरा में भी जगन्नाथ जी का यही हाल है। स्नानयात्रा शुरू है लेकिन बीमारी के बाद वह डेढ़ माह तक स्वास्थ्य लाभ लेंगे।भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा का महत्व बैकुंठ से भी ज्यादा माना गया है। यहां जगन्नाथ जी की सिक लीव कुछ लंबी चलेगी। इसके पीछे दो आषाढ़ का होना बताया गया है।

मथुरा में डेढ़ माह तक छुट्टी---जेठ की तपती धूम के बाद छक कर स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ डेढ़ माह तक स्वास्थ्य लाभ लेने जा रहे हैं। बदले समय में इसे सिक लीव कह सकते हैं। अब इस अवधि में भक्तों को उनके दर्शन नहीं हो सकेंगे।श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा के भागवत भवन स्थित भगवान जगन्नाथजी मंदिर में पूजन-अर्चन के बाद आज स्नानयात्रा हो रही है। अब 18 जुलाई को ही उनके दर्शन हो पाएंगे। स्नानयात्रा के अगले दिन से आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 17 जुलाई तक भगवान मंदिर में स्वास्थ्य लाभ लेंगे। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर आज भगवान जगन्नाथ जी की परंपरागत स्नानयात्रा निकाल पड़ी। शुभारंभ सायंकालीन पूजन बाद हुआ। ठाकुरजी को फलभोग के बाद भगवान जगन्नाथजी के श्रीविग्रह मंदिर परिक्रमा और उन्हें पंचामृत से स्नान के साथ श्रीगणेशजी के स्वरूप में श्रंगार होने के बाद जगन्नाथजी भक्तों को पट बंद होने तक दर्शन देंगे। पौराणिक मान्यता है कि अस्वस्थ अवधि में भगवान जगन्नाथजी अपने भक्त विश्वावसु नामक भील की सेवा स्वीकार करते हैं। संस्थान के संयुक्त मुख्य अधिशासी राजीव श्रीवास्तव और सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि शास्त्रीय मर्यादाओं के अनुरूप भगवान जगन्नाथजी स्नानयात्रा के अगले दिन यानी तीन जून को आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 17 जुलाई तक स्वास्थ्य लाभ लेंगे।

वाराणसी में सिक लीव बढ़ने की संभावना---आज वाराणसी में सुबह करीब 5.11 बजे से स्नान आरम्भ हुआ है और दोपहर 12 बजे तक चला। इसके बाद दोपहर तीन बजे से रात्रिमंदिर 10 बजे तक चला। रात्रि 12 बजे विग्रहों को मंदिर में प्रतिष्ठित कराया जायेगा। मंदिर के पुजारी आचार्य श्रीराम शर्मा के अनुसार ज्यादा स्नान से भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। मान्यताओं व परम्परा के अनुसार वे 15 दिनों के लिए विश्राम को चले जाएंगे। हालांकि वाराणसी में जगन्नाथ जी की सिक लीव कुछ दिन और बढ़ने की संभावना है। इस अवधि में मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता हैभक्तजन भी भगवान को चढाये काढे को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। उनका विश्वास है कि भगवान जगन्नाथ काढा ग्रहण करने पर वर्षपर्यंत स्वास्थ्य रहेंगे। वैसे 15 दिनों तक भगवान को काढ़ा भोग लगाने का क्रम चलता है लेकिन इस बार अधिकमास लगने के कारण यह क्रम डेढ़ माह तक चलेगा।

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