Lord Ganesha Birth Story: जब शनि देव की दृष्टि पड़ने से उड़ने लगा गणेश जी का सिर, पढ़ें य​ह कथा

Lord Ganesha Birth Story आज बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है। आज गणेश जी के जन्म से जुड़ी एक कथा बता रहे हैं जो शनि देव से जुड़ी है। शनि देव की दृष्टि के प्रभाव से गणेश जी का सिर आकाश में उड़ने लगता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 07:52 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 10:55 AM (IST)
Lord Ganesha Birth Story: जब शनि देव की दृष्टि पड़ने से उड़ने लगा गणेश जी का सिर, पढ़ें य​ह कथा
जब शनि देव की दृष्टि पड़ने से उड़ने लगा गणेश जी का सिर, पढ़ें य​ह कथा

Lord Ganesha Birth Story: आज बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है। आज जागरण अध्यात्म में हम आपको गणेश जी के जन्म से जुड़ी एक कथा बताने जा रहे हैं, जो शनि देव से जुड़ी है। संभवत: आपने यह कथा नहीं सुनी होगी, ​जिसमें शनि देव की दृष्टि के प्रभाव से गणेश जी का सिर आकाश में उड़ने लगता है। आखिर उनको हाथी का सिर कैसे लगा? पढ़ें यह कथा।

गणेश जी का जन्म कैसे हुआ, इसके बारे में गणेश चालीसा में भी वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, माता पार्वती ने संतान प्राप्ति के लिए तप ​किया। माता पार्वती के तप से गणेश जी प्रसन्न हुए और वे एक ब्राह्मण का रुप धारण करके उनके पास गए। माता पार्वती ने उनकी आवभगत और सेवा की, जिससे गणेश जी अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने माता पार्वती को वरदान दिया कि उनको दिव्य और बुद्धिमान पुत्र की प्राप्ति होगी। उनके वहां से जाने के बाद माता पार्वती के घर पालने में वे बालक स्वरुप में आ गए। शिव शक्ति के घर बालक के जन्म का समाचार सुनकर चारों ओर खुशी और आनंद छा गया।

भगवान ​गणेश जी को देखने के लिए सभी देवी, देवता, ऋषि, मुनि आदि पहुंचने लगे। जब शनि देव को सूचना मिली तो वे भी कैलाश पर्वत की ओर चल दिए। शनि देव को देखकर माता पार्वती प्रसन्न हुईं। उन्होंने शनि देव से बालक गणेश को आशीष देने का आग्रह किया। शनि देव अपनी दृष्टि के लिए जाने जरते हैं, इसलिए वे बाल गणेश जी को देखना नहीं चाहते थे। शनि देव के टालमटोल करने से माता पार्वती नाराज हो गईं।

अंतत: शनि देव बाल गणेश को देखने पहुंचे। शनि देव की थोड़ी ही दृष्टि पड़ी, तो बाल गणेश का सिर आकाश में उड़ने लगा। यह देखकर माता पार्वती और वहां मौजूद सभी लोगों में हाहाकार मच गया। उत्सव का माहौल गमगीन हो गया। वहां पर गरुड़ जी भी थे, उनको जल्द से जल्द सिर लाने का कार्य सौंपा गया। वे हाथी का सिर लेकर आए। भगवान शिव ने बाल गणेश के धड़ से हाथी का सिर जोड़ा और उसमें प्राण प्रतिष्ठा की। इस प्रकार से गणेश जी का सिर हा​थी का लगा।

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