जानें जगन्‍नाथ यात्रा की पौराणिक कथा

जगन्नाथ जी की रथ यात्रा धूमधाम से न‍िकाली जाती है। इस दौरान वह अपने भाई बलराम जी और बहन देवी सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होते हैं। जानें जगन्‍नाथ यात्रा की पौराणिक कथा...

By shweta.mishraEdited By: Publish:Sun, 25 Jun 2017 12:23 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jun 2017 02:05 PM (IST)
जानें जगन्‍नाथ यात्रा की पौराणिक कथा
जानें जगन्‍नाथ यात्रा की पौराणिक कथा

कुरुक्षेत्र जाने का निश्चय किया

भगवान जगन्‍नाथ जी की रथ यात्रा को लेकर मान्‍यता है क‍ि वह अपने भाई-बहनों के साथ रथ पर सवार होकर मौसी के घर गुण्डीचा मंदिर में जाते हैं। ह‍िंदू शास्‍त्रों के मुताबिक द्वापर युग में लीला पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण जब एक बार वृंदावन त्याग कर द्वारिका नगरी में अपनी पत्नियों संग निवास कर रहे थे। उस समय पूर्ण सूर्य ग्रहण का दुर्लभ अवसर आया। इस अवसर पर सभी यदुवंशियों ने श्री कृष्ण के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान क‍िया। यहां पर सभी स्नान, उपवास, दान आदि करके अपने पापों का प्रायश्चित करने गए थे। वहीं इस दौरान जब वियोगिनी राधा रानी एवं वृंदावन वासियों को श्री कृष्ण के कुरुक्षेत्र आने का पता चला तो उन्होंने नन्द बाबा के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र जाने का निश्चय किया। जि‍ससे क‍ि वहां पर श्रीकृष्‍ण के दर्शन क‍िए जा सकें। 


कृष्ण को देख अपार खुशी हुई

इस दौरान जब कई वर्षों के बाद राधा रानी तथा गोपियों ने श्री कृष्ण को देखा तो उन्‍हें अपार खुशी हुई। राधा रानी की नजरे श्रीकृष्‍ण के ऊपर से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। राधा रानी का मन बार-बार बीते सयम की तरह एक बार श्री कृष्ण के साथ वृंदावन की कुंज गलियों में विहार तथा मिलन के लिए व्‍याकुल था, लेकिन कुरुक्षेत्र का वातावरण तथा श्री कृष्ण की राजसी वेशभूषा उनके प्रेम में बाधक बन रही थी। ऐसे में राधा रानी ने उन्‍हें वृंदावन आने का निमंत्रण दिया। भगवान श्री कृष्ण ने राधारानी का निमंत्रण प्रेम पूर्वक स्वीकार किया। इस दौरान वृंदावन वासी प्रसन्नता से झूम उठे इसके बाद रथ पर सवार होकर वृंदावन के ल‍ि‍ए झूमते गाते-बजाते न‍िकल पड़े। इस दौरान एक रथ पर श्री कृष्ण तथा उनके बड़े भाई बलराम तथा मध्य में बहन सुभद्रा व‍िराजी थीं। 


नाचते गाते वृंदावन धाम तक गए

वृंदावन वास‍ियों ने उस रथ के घोड़ों को हटाकर खुद ही उनकी जगह रथ को संभाल ल‍िया था। इसके अलावा वृंदावन वासियों ने परम भगवान श्री कृष्ण को जगन्‍नाथ यानी क‍ि जगत के नाथ नाम द‍िया था। इस दौरान श्रीकृष्‍ण जी ने रथ खींच रहे लोगों के प्रेम को देखकर कहा क‍ि अब तुम लोगों की जहां इच्‍छा हो वहां उन्‍हें ले चलो। जि‍स पर ब्रजवासी जय जयकार करते हुए उनके रथ को वृंदावन धाम तक ले गए। इसके बाद से यह जगन्नाथ रथयात्रा कृष्ण प्रेम के साथ जगन्नाथ पुरी उड़ीसा में भी निकलनी शुरू हुई। जि‍ससे यहां की जगन्‍नाथ रथ यात्रा में लाखों भक्‍त भाग लेते हैं। आज यह उड़ीसा के अलावा देश के दूसरे राज्‍यों में भी न‍िकलती है। 9 जुलाई 1967 से अमेरिका में सान फ्रांसिस्को की धरती पर भी जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन होने लगा था। 

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