केदारनाथ मंदिर के रावल हिंदू नहीं

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती रविवार को फिर से अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ के रावल हिंदू नहीं हैं। इन स्थितियों में श्री बदरी-केदार मंदिर समिति एक्ट के अनुसार उन्हें पद से हटाकर सनातन धर्म मानने वालों को पूजा का अधिकार देना चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2015 04:31 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2015 04:35 PM (IST)
केदारनाथ मंदिर के रावल हिंदू नहीं

गोपेश्वर। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती रविवार को फिर से अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ के रावल हिंदू नहीं हैं। इन स्थितियों में श्री बदरी-केदार मंदिर समिति एक्ट के अनुसार उन्हें पद से हटाकर सनातन धर्म मानने वालों को पूजा का अधिकार देना चाहिए।

बदरीनाथ प्रवास से लौटे शंकराचार्य ने जोशीमठ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केदारनाथ हिंदू धर्म का तीर्थ है। जबकि, यहां लिंगायत समुदाय के लोग रावल के रूप में पूजा पाठ कर रहे हैं। यह समुदाय अपने को हिंदू मानता ही नहीं है। मंदिर एक्ट में साफ है कि इन मंदिरों में सिर्फ हिंदू ही पूजा करेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि बदरीनाथ के रावल कपाट बंद होने के बाद जोशीमठ में रहने के बजाए देशभर में भ्रमण कर रहे हैं। इससे बदरीनाथ की गरिमा भी धूमिल हो रही है। शंकराचार्य ने कहा कि रावल कुछ समय ब्रह्मचारी रहने के बाद पद छोड़कर शादी कर रहे हैं, यह परंपरा हिंदू धर्म के लिए भी ठीक नहीं है। उन्होंने देश में विवाह को लेकर हिंदू, मुसलमान सहित सभी धर्मो पर एक नियम लागू करने की बात कही। शंकराचार्य न ज्योर्तिमठ में चल रहे पुनर्निर्माण पुराने ढांचे के अनुरूप ही होना चाहिए।

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