Janmashtami 2022: भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों के पीछे क्या है पौराणिक कथा, जानिए

Janmashtami 2022 सनातन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थी। इनके नाम क्रमश रुक्मणि जाम्बवन्ती सत्यभामा कालिन्दी मित्रबिन्दा सत्या भद्रा और लक्ष्मणा था। असुर नरकासुर के चलते भगवान श्रीकृष्ण को 16000 नारियों संग विवाह करना पड़ा था।

By Pravin KumarEdited By: Publish:Thu, 18 Aug 2022 05:57 PM (IST) Updated:Thu, 18 Aug 2022 05:57 PM (IST)
Janmashtami 2022: भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों के पीछे क्या है पौराणिक कथा, जानिए
Janmashtami 2022: भगवान श्री कृष्ण की 16108 पत्नियों के पीछे क्या है पौराणिक कथा, जानिए

Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण की लीला अपरंपार है। उनकी लीलाओं का अंत नहीं है। अनंत काल से भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं के जरिए सृष्टि का संचालन कर रहे हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ज्ञानगंज में भगवान श्रीराम और कृष्ण आज भी मानव रूप में उपस्थित हैं। धार्मिक ग्रंथों में भगवान की लीलाओं का वर्णन विस्तार रूप से है। इसमें एक लीला नरकासुर वध का है। असुर नरकासुर के चलते भगवान श्रीकृष्ण को 16000 नारियों संग विवाह करना पड़ा था। इसके लिए आज भी धार्मिक प्रसंगों में भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियों की कथा सुनाई जाती है। आइए, भगवान श्रीकृष्ण के 16108 पत्नियों के बारे में सबकुछ जानते हैं-

क्या है कथा ?

सनातन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थी। इनके नाम क्रमश: रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। इसके अलावा, उन्होंने 16000 से अधिक कन्याओं संग विवाह किया था। हालांकि, उन्होंने 16000 कन्याओं संग केवल विवाह किया था, किन्तु अर्धांगिनी रूप में स्वीकार नहीं किया था। वहीं, 16000 कन्याओं ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। इसके बावजूद वे सभी द्वारका में भगवान की भक्ति कर जीवन यापन करती थी।

किंदवंती है कि एक बार नरकासुर का आतंक बहुत बढ़ गया। उसके आतंक से स्वर्ग लोक में हाहाकार मच गया। सत्ता छीनने के डर से स्वर्ग नरेश इंद्र, भगवान के शरण में गए और उनसे स्वर्ग की रक्षा करने का अनुरोध किया।

तब भगवान श्रीकृष्ण ने आश्वासन दिया कि नरकासुर का अंत निकट है। वहीं, दूसरी तरफ नरकासुर अमरता का वरदान प्राप्ति हेतु 16000 हजार कन्याओं को बंदी बनाकर एक कारागार में डाल रखा था। कालांतर में भगवान ने 16000 कन्याओं को नरकासुर के कारागार से मुक्त कराया। जबकि, नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई पुरुष मार नहीं सकता है। उस समय सत्यभामा की मदद से कृष्णजी ने नरकासुर का वध किया। वहीं, 16000 हजार कन्याएं समाज के कलंक से बचने के लिए भगवान को ही अपना पति मान लिया। तब भगवान 16000 रूप में प्रकट होकर उन कन्याओं से विवाह किया था।

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