Inspiring Story: आंखों को दान कर युवक स्वयं क्यों हो गया अंधा? पढ़ें यह प्रेरक क​था

Inspiring Stories हम सबने परोपकार की कई कहानियां पढ़ीं जो हमें कुछ सीख दे जाती है। आज हम आपको एक ऐसी प्रेरक कहानी के बारे में बता रहे हैं जो आपको सोचन पर विवश कर सकती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Mon, 24 Aug 2020 11:40 AM (IST) Updated:Mon, 24 Aug 2020 12:02 PM (IST)
Inspiring Story: आंखों को दान कर युवक स्वयं क्यों हो गया अंधा? पढ़ें यह प्रेरक क​था
Inspiring Story: आंखों को दान कर युवक स्वयं क्यों हो गया अंधा? पढ़ें यह प्रेरक क​था

Inspiring Stories: हम सबने परोपकार की कई कहानियां पढ़ीं, जो हमें कुछ सीख दे जाती है। आज हम आपको एक ऐसी प्रेरक कहानी के बारे में बता रहे हैं, जो आपको सोचन पर विवश कर सकती है। उससे मिलने वाली सीख को आप अपने जीवन में उतार कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। आइए पढ़ते हैं व​ह प्रेरक कथा।

एक समय की बात है। एक युवती थी, जिसकी दोनों आंखें एक दुर्घटना में चली गई थीं। इस कारण से वह हताश और निराश रहने लगी। उसे अपनी जिंदगी एक बोझ लगने लगी थी। उसे लगता था कि आंखें न होने के कारण उसे कोई प्यार नहीं करता है। उसे जो सम्मान मिलना चाहिए, वो सम्मान नहीं मिलता है। इसी बीच उसे एक युवक मिला। वह युवक उस नेत्रहीन युवती का ख्याल रखने लगा।

युवक से मिले प्रेम के कारण उस युवती में जीने की चाह पैदा हुई। वह अब नए नजरिए से दुनिया को देखने और समझने लगी। उस यवती को युवक की आवाज और उसकी बातें बहुत अच्छी लगती थीं। एक दिन उस युवक ने उस लड़की से कहा कि कुछ भी हो जाए, वह उसकी आंखें वापस लाकर ही रहेगा। उसने वादा किया कि तुम दुनिया को अपनी आंखों से देख पाओगी।

एक दिन युवक उस युवती को लेकर अस्पताल गया। उसने उस युवती की आंखों का ऑपरेशन किसी नामी सर्जन से करवाया। ऑपरेशन के बाद युवती की आंखों पर पट्टी बांध दी गई। युवती ने इच्छा जताई कि जब उसके आंखों की पट्टी खोली जाएगी, तो वह सबसे पहले उस युवक को ही देखना चाहेगी, जिसने उसमें जीने की चाह पैदा की थी।

वह समय भी आ गया, जिस दिन युवती की आंखों की पट्टी खोल दी गई। वह अपने मन के मुताबिक सबसे पहले उस युवक को देखी, जो उसके जीवन में एक सकारात्मक फर्क पैदा किया था। वह उसे देखकर आश्चर्यचकित रह गई क्योंकि वह युवक नेत्रहीन था। उसके सारे सपने धरे रह गए।

युवक को देखने के बाद उसने कहा कि वह एक नेत्रहीन से शादी नहीं कर सकती है। युवक को जब इस बात की जानकारी हुई तो उसने इस पर कोई दुख या निराशा व्यक्त नहीं किया। उसने कहा- अब तुम दुनिया को देख सकती हो, उसे भरपूर जी सकती हो। मेरा उद्देश्य पूरा हुआ, मैं चलता हूं। हां, मेरी आंखों का ख्याल रखना।

कथा का सार

भलाई करने वाला कभी यह नहीं सोचता कि उसे बदले में क्या मिलेगा। तब भलाई में सुख ही मिलता है, दुख नहीं। उस युवक ने अपनी परवाह किए बगैर अपने वादे को पूरा किया और उस लड़की को आंखें मिल गईं। उसे अपनी आंखें उस लड़की को दान कर दी।

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