श्रावणी पूर्णिमा पर करेंगे लक्ष्‍मी पूजन तो होगी धन वर्षा

श्रावण मास में पूर्जा अर्चना करने से सभी फल प्राप्‍त होते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा पर पूजन के कुछ विशेष योग होते हैं। इस दिन पूजा करने पर भगवान की कृपा के साथ धन की भी वर्षा होती है।

By prabhapunj.mishraEdited By: Publish:Tue, 01 Aug 2017 01:57 PM (IST) Updated:Tue, 01 Aug 2017 01:57 PM (IST)
श्रावणी पूर्णिमा पर करेंगे लक्ष्‍मी पूजन तो होगी धन वर्षा
श्रावणी पूर्णिमा पर करेंगे लक्ष्‍मी पूजन तो होगी धन वर्षा

चंद्रदोष से मिलती है मुक्ति

श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है। इस दिन पूजा उपासना करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है। श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान पुण्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन स्नान  के बाद गाय आदि को चारा खिलाना, चींटी, मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए। इस दिन गोदान का बहुत महत्व होता है। श्रावणी पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाले हर धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं। ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान देकर भोजन कराया जाता है। 

लक्ष्‍मी पूजन से होती है धन वर्षा

इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मी व हनुमान को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए। पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होता है। यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है। कावडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है और उनकी कावड़ यात्रा संपन्न होती है। इस दिन शिव जी का पूजन होता है पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियां पंचगव्य में डुबोकर भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं। 

श्रावण में होता है रक्षाबंधन का त्‍यौहार 

रक्षाबंधन का त्योहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। उपहार स्वरूप उसे भेंट भी देता है। इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है, उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीनयज्ञोपवीत धारण किया जाता है। वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं।  

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