यदि चल रही हो मंगल की महादशा

आपने अपनी जन्मपत्रिका में यह तो जरूर ग़ौर किया होगा। यदि मंगल पापी, अकारक या फिर पीड़ित हो तो इसकी दशा में अनहोने फल प्राप्त होते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2015 11:25 AM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2015 12:09 PM (IST)
यदि चल रही हो मंगल की महादशा

आपने अपनी जन्मपत्रिका में यह तो जरूर ग़ौर किया होगा। यदि मंगल पापी, अकारक या फिर पीड़ित हो तो इसकी दशा में अनहोने फल प्राप्त होते हैं।

जन्मकुंडली में शुभग्रह लग्नेश या कारक ग्रह की युति या फिर दोनों ही दृष्टि होने पर मंगल के अशुभ फल में कमी आती है। मंगल अमूमन अधिकतर लग्न चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में विशेष अशुभ फलदेता है लेकिन इसका पूर्ण निर्णय मंगल की स्थिति पर निर्भर करता है।

यह ठीक वैसे ही है जैसे जन्मकुंडली में मंगल यदि पत्रिका में उच्च,स्वक्षेत्री, कारक या फिर मूलत्रिकोण में हो तो यश लाभ, साहस के माध्यम से सफलता व आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि पूर्ण रूप से पापी या पीड़ित अकारक हो तो इसकी महादशा 12 राशियों पर कुछ इस तरह पड़ती है। मेष : धन लाभ, यश, द्वितीय भाग में मुख रोग व नेत्र कष्ट।वृषभ: शारीरिक कष्ट, किसी अन्य माध्यम से लाभ जनहित कार्यों में रुचि।मिथुन: खर्च में वृद्धि, वायु विकार, कान में कष्ट, बेकार भटकना, भाइयों से विरोध।कर्क: धन लाभ, परिवार से दूर, क्लेश, पंचम भाव में मंगल होने से संतान को हानि।सिंह: राज्य से लाभ, अधिक व्यय, शत्रु वर्ग से हानि।कन्या: भूमि लाभ, धन लाभ, पुत्र यश, सप्तम भाव में होने से जीवनसाथी से वियोग।तुला: जीवनसाथी को हानि, आर्थिक अष्टम भाग में होने से अशुभ फल।वृश्चिक: दुर्घटना, शस्त्रघात, भय अधिक रहेगा। नवम भाग में होने से धर्म कर्म में बाधा।धनु: दशम भाग में होने से सम्मान में कमी। आर्थिक लाभ, धर्म में रुचि।मकर:अधिकारों में वृद्धि, धन का लाभ, शत्रु पर विजय मिलेगी।कुंभ:शुभ मानसिकता का अभाव, मानसिक चिंता। एकादश भाग में आर्थिक लाभ।मीन: ऋण वृद्धि, त्वचा विकार, शारीरिक पीड़ा देगा।

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