ऐतिहासिक धरोहर के क्षतिग्रस्त होने से पर्यटन उद्योग में छाई मायूसी

नेपाल सहित पूरे उत्तर भारत में आए भीषण भूकंप के झटकों ने दोनों देशों के पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग इस त्रासदी से आतंकित हैं। पर्यटन कारोबारी कहते हैं कि नेपाल त्रासदी से व्यापार प्रभावित होना तय है। भूकंप से नेपाल के

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 04 May 2015 12:40 PM (IST) Updated:Mon, 04 May 2015 12:46 PM (IST)
ऐतिहासिक धरोहर के क्षतिग्रस्त होने से पर्यटन उद्योग में छाई मायूसी

वाराणसी। नेपाल सहित पूरे उत्तर भारत में आए भीषण भूकंप के झटकों ने दोनों देशों के पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग इस त्रासदी से आतंकित हैं। पर्यटन कारोबारी कहते हैं कि नेपाल त्रासदी से व्यापार प्रभावित होना तय है। भूकंप से नेपाल के कई प्रमुख पर्यटन स्थल क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई ऐतिहासिक धरोहर तो जमींदोज हो गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से काठमांडू के नजदीकी रिश्तों को विश्व पटल पर रखा तो दुनिया भर के सैलानियों का रुझान नेपाल के प्रति और बढ़ गया। बौद्ध परिपथ में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार पर भारत-नेपाल की सरकारों के बीच समझौता हुआ है लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। योजना का क्रियान्वयन हो, इसके पूर्व ही भूकंप ने सबकुछ तबाह कर दिया।

एक दशक चला गया पीछे

भूकंप से पूर्व नेपाल में पर्यटकों के लिए कई रमणीक धर्मस्थल थे, किंतु अब पशुपतिनाथ मंदिर को छोड़ सब कुछ तबाह हो गया है। नेपाल इस त्रासदी से एक दशक पीछे चला गया है।

पटरी पर आने पर लगेगा वक्त

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र मिश्र का कहना है कि भूकंप से पर्यटन उद्योग को भारी झटका लगा है। इसे पटरी पर लाने में लगभग एक से डेढ़ वर्ष का समय लग सकता है। वर्ष 2014-15 में 6 करोड़ रुपये लग्जरी टैक्स की प्राप्ति हुई। चालू वित्तीय वर्ष में यह ग्राफ गिर सकता है। पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार इस त्रासदी से लगभग दो साल तक नेपाल के भ्रमण पर ब्रेक लग गया है। पहले से ही पर्यटन सुविधाओं की कमी से नेपाल जूझ रहा था लेकिन अब तो वहां मूलभूत सुविधाओ की भी कमी नजर आएगी। भूकंप का सबसे ज्यादा असर दोनों देशों के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है।

पर्यटकों की आवाजाही थमी

ट्रैवेल एजेंसी के बच्चा सिंह का कहना है कि भूकंप के कारण कारोबार पर भारी धक्का लगा है। वाराणसी से प्रतिदिन लगभग 50 छोटी गाडिय़ां और करीब 30 बसें नेपाल जाती थी। वर्तमान में कोई गाड़ी नहीं जा रही है। वायुमार्ग से रोजाना लगभग 100 लोगों की आवाजाही रही। नेपाल भ्रमण के लिए हर दिन लगभग एक हजार से ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटक वाराणसी से पहुंचते थे। नंदलाल कहते हैं कि ट्रैवेल एजेंसियों के अगले चार महीनों के लगभग 300 से ज्यादा ट्रिप रद कर दिए गए हैं। हालात को देखते हुए लग रहा है कि डेढ़ से दो साल तक नेपाल में पर्यटन उद्योग प्रभावित रहेगा जबकि बौद्ध देशों केलिए यही मौसम पर्यटन के लिए सबसे अनुकूल होता हैं। पार्थ भट्टाचार्य ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के बाद अब पर्यटक नेपाल की अपेक्षा उत्तराखंड को प्राथमिकता दे रहे हैं।

कारोबार प्रतिमाह

-लगभग 15 करोड़ रुपये।

-वाराणसी से नेपाल 50 छोटी गाडिय़ोंं और 30 बसों की आवाजाही।

-वर्ष 2014-15 में लग्जरी टैक्स की प्राप्ति लगभग छह करोड़ रुपये।

chat bot
आपका साथी