गंगा स्वच्छता के लिए हों एकल प्रयास

समाज में सुख और शांति के लिए प्रेम व सौहार्द का माहौल बनाना अपरिहार्य है। विकास का पहिया तभी गति पकड़ता है जब आपसी भाईचारा हो, वसुधैव कुटुम्बकम के रास्ते पर चलकर हम समृद्धि व शांति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 09 Feb 2013 01:01 PM (IST) Updated:Sat, 09 Feb 2013 01:01 PM (IST)
गंगा स्वच्छता के लिए हों एकल प्रयास

कुंभनगर। समाज में सुख और शांति के लिए प्रेम व सौहार्द का माहौल बनाना अपरिहार्य है। विकास का पहिया तभी गति पकड़ता है जब आपसी भाईचारा हो, वसुधैव कुटुम्बकम के रास्ते पर चलकर हम समृद्धि व शांति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और सद्भावना हमारे समाज को स्वरूप व सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं। हमें सच्चे मार्ग पर चलना चाहिए। वाह्य आडंबरों में कुछ भी नहीं रखा है। विश्वायतन सतुआ बाबा धाम की जगद्गुरु लक्ष्मी देवी साई मां ने बातचीत में धर्म का स्वरूप अत्यंत व्यापक है। मानव का जीवन मानव के लिए ही समर्पित होना चाहिए। यही धर्म का मूल आशय है। भारत तो सनातन धर्म का रचयिता है। संसार को सच्चा रास्ता तो इसी देश के महापुरुषों ने दिखाया है। पश्चिमी देश के धनाढ्य व शिक्षित लोगों ने इसे स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हमें भारतीय आचार-विचारों को अपनाना ही होगा। इसी में विश्व की भलाई है।महाकुंभ में संगम प्रवास के बारे में उन्होंने बताया कि यहां रहकर अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही है। समूचे विश्व में प्रयाग ही ऐसा स्थान है जहां सच्चे रूपों में ईश्वर बसते हैं। राजनीतिक प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने कहा कि राजनीति प्रेम, विकास, सौहार्द, भाईचारे की मजबूती और एक-दूसरे की सेवा के लिए की जानी चाहिए। गंगा स्वच्छता पर उन्होंने कहा कि गंगा मइया अपने में सभ्यता व संस्कृति हैं। ये आराध्य हैं। समाज में पूज्य हैं। किसी भी कीमत पर इन्हें प्रदूषण मुक्त बनाना ही होगा। अभी भी समय है कि हम इस दिशा में एकल प्रयास कर इनकी स्वच्छता का व्रत लें, सब कुछ ठीक हो जाएगा।

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