Ganeshotsav 2020: गणेश जी के छठे अवतार हैं लंबोदर, जानें क्यों लिया था यह अवतार

Ganeshotsav 2020 पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी के छठे अवतार का नाम लंबोदर है। गणेश जी ने यह अवतार देवताओं को आसुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए लिया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 10:41 AM (IST)
Ganeshotsav 2020: गणेश जी के छठे अवतार हैं लंबोदर, जानें क्यों लिया था यह अवतार
Ganeshotsav 2020: गणेश जी के छठे अवतार हैं लंबोदर, जानें क्यों लिया था यह अवतार

Ganeshotsav 2020: पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी के छठे अवतार का नाम लंबोदर है। गणेश जी ने यह अवतार देवताओं को आसुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए लिया था। इससे पहले हम आपको इनके पांच अवतारों के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको गणेश जी के छठे अवतार लंबोदर के बारे में बता रहे हैं। इन्होंने क्रोधासुर से युद्ध कर उसे अपनी शरण में आने पर विवश कर दिया। तो चलिए पढ़ते हैं इस पौरणिक कथा को।

तो इसलिए लिया था गणेश जी ने लंबोदर का अवतार:

समुद्र मंथन के समय अमृत रक्षा के लिए विष्णु जी ने मोहिनी रूप लिया था। उनका यह रूप देख शिव जी मोहित हो गए थे। लेकिन जब श्री हरि अपने असली रूप में आए तो उन्हें देख शिव जी क्रोध और क्षोम से भर गए। उनके स्खलन से क्रोधासुर नाम का राक्षस उत्पन्न हुआ। जब यह राक्षस बढ़ा हुआ तो उसका नाम क्रोधासुर रखा गया। वह दैत्य गुरू शुक्राचार्य का शिष्य बना। शुक्राचार्य ने शम्बर दैत्य की कन्या प्रीति के साथ उसका विवाह संपन्न कराया। एक दिन क्रोधासुर ने आचार्य के सामने एक इच्छा व्यक्त की। वो पूरे ब्रह्माण्ड को जीतना चाहता था। इस इच्छा को पूरा करने के लिए गुरु शुक्राचार्य ने क्रोधासुर को सूर्य मंत्र की दीक्षा दी। क्रोधासुर ने उनकी तपस्या शुरू की।

क्रोधासुर ने एक घने जंगल में जाकर कठोर तपस्या की। उसने मौसम के प्रहार सहे और अन्न-जल का त्याग भी कर दिया। उसकी भक्ति से प्रसन्न हो कर सूर्य देव ने उसे दर्शन दिए। उन्होंने उससे वर मांगने को कहा। क्रोधासुर ने वरदान में मृत्यु एवम् सम्पूर्ण ब्रह्मांड पर विजय का इच्छा जताई और सूर्यदेव ने उसे वो वरदान दे दिया। यही नहीं, सूर्यदेव ने उसे सर्वोत्तम योद्धा होने का आशीर्वाद भी दिया। जब उसे वो वरदान मिला तो उसे असुरों का राजा बना दिया गया। इसके बाद वह ब्रह्मांड विजय के लिए चल पड़ा। पहले पृथ्वी और फिर वैकुण्ठ समेत कैलाश पर उसने अपना आधिपत्य जमा लिया। वो यही नहीं रुका उसने सूर्य को भी अपदस्थ कर दिया औऱ सूर्यलोक पर भी कब्जा कर लिया।

जब सूर्यदेव ने देखा कि उनके वरदान का यह परिणाम है तो सूर्य समेत अन्य देवी देवताओं और ऋषियों ने श्री गणेश से मदद मांगी। वो सभी उनकी शरण में पहुंचे। उन्हें इस अत्याचार से मुक्त कराने के लिए गणेश जी ने लंबोदर का अवतार लिया। इस अवतार में लंबोदर ने क्रोधासुर पर आक्रमण कर दिया। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। आखिरी में क्रोधासुर, लंबोदर के शरणागत हो गया। साथ ही जीते हुए सभी लोकों को स्वतंत्र भी कर दिया।  

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