क्या आप जानते हैं, कार्तिक स्नान की महत्ता क्या है?

हर यानी शिव की नगरी में हरि (विष्णु) को समर्पित कार्तिक मास शनिवार से शुरू हो रहा है। पहले दिन से ही पर्वो का जोश उफान पर होगा। मुंह अंधेरे से स्नान-दान और शाम को अनगिन दीपों से जगमगाएगा आसमान। इस पुण्य बेला में लोग घाट सरोवरों पर डुबकी लगाएंगे। तीर्थराज प्रयाग भी पंचनद तीर्थ में स्नान का लोभ संवरण न कर पाएंगे। क

By Edited By: Publish:Fri, 18 Oct 2013 03:40 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2013 03:59 PM (IST)
क्या आप जानते हैं, कार्तिक स्नान की महत्ता क्या है?

वाराणसी। हर यानी शिव की नगरी में हरि (विष्णु) को समर्पित कार्तिक मास शनिवार से शुरू हो रहा है। पहले दिन से ही पर्वो का जोश उफान पर होगा। मुंह अंधेरे से स्नान-दान और शाम को अनगिन दीपों से जगमगाएगा आसमान।

इस पुण्य बेला में लोग घाट सरोवरों पर डुबकी लगाएंगे। तीर्थराज प्रयाग भी पंचनद तीर्थ में स्नान का लोभ संवरण न कर पाएंगे। कार्तिक मास में गंगा के विभिन्न घाट व सरोवरों पर कार्तिकी डुबकी के लिए श्रद्धालु उमड़ते हैं लेकिन पंचनदतीर्थ (पंचगंगा) स्नान की विशेष महत्ता है। मान्यता है कि यहां ताप-पापनाशक पांच नदियों यथा गंगा, यमुना, विशाखा, धूतपापा और किरणा का संगम होता है। ऐसे में यहां स्नान से हर तरह के पापों का शमन होता है। पुराणों में भी वर्णन है कि पंचनद तीर्थ में स्वयं तीर्थराज प्रयाग भी कार्तिक मास में स्नान करते हैं।

बिंदु माधव का दर्शन- मान्यता है कि शिव की नगरी में कार्तिक माह भगवान विष्णु के नाम होता है। शरद पूर्णिमा की रात वैभव लक्ष्मी की आराधना से शुरू स्नान उत्सव पूरे माह चलता है। स्नान के बाद पंचगंगा घाट पर श्रीहरि स्वरूप बिंदु माधव के दर्शन का विधान है।

आकाशदीपों की आभा निराली- पितरों की राह आलोकित करने के लिए कार्तिक के पहले ही दिन से ही मासर्पयत आकाशदीप जलाए जाते हैं। पंचगंगा घाट पर इनकी आभा निराली होती है। इसकी प्राचीनता का अंदाज श्रीमठ में स्थापित हजारे से लगाया जा सकता है। इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने वर्ष 1780 में लाल पत्थरों से इसका निर्माण कराया था। रोगों से मुक्ति, पापों का क्षय- संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. सदानंद शुक्ला के अनुसार दामोदर यानी कृष्ण अर्थात भगवान विष्णु कार्तिक माह के स्वामी है। गीता में भी इसका उल्लेख है। इस माह में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष फल है। इस बेला में सभी देवता जल मे निवास करते हैं। ऐसे में स्नान से रोग से मुक्ति व लक्ष्मी का वास होता है। पांच तिथि एक माह समान- कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी, अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की एकादशी, अमावस्या व पूर्णिमा तिथि को स्नान से पूरे माह के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। ऐसे में कामकाजी व्यस्तता वाले जन इन पांच तिथियों में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं।

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